दोस्त और दोस्ती पर मेरी अभिव्यक्ति
1. सभी दोस्त नहीं बन जाते.
जमाना दुश्मन बन जाता है.
2. दोस्त वो है जिसमें, दोष तक न हो.
दोष मन में वो दुश्मन है, इसमें शक़ न हो.
3. वो दोस्त क्या जिसे दोस्ती पर फ़ख्र नहीं होता.
उस दोस्त को दोस्ती करने का हक़ नहीं होता.
तुम ज़िन्दा हो इस मुग़ालते में मत रहना 'आकुल',
मुरदों को करवट बदलने का हक़ नहीं होता.