6 जनवरी 2010

जलेस काव्य गोष्ठी 27.12.2009 को.


कोटा.27/12/2009. विगत को विदा और आगत का स्वागत करने के लिए जनवादी लेखक संघ की वर्ष 2009 की अंतिम मासिक गोष्ठी रविवार 27.12.2009 को जलेस जिलाध्यक्ष शहर इकाई के संयुक्त तत्वावधान में जिलाध्यदक्ष श्री रघुनाथ मिश्र के निवास 3-के-30 पर शहर के लगभग 25 जाने माने साहित्यकारों, शायर और कवियों के बीच हर्ष और उल्लास के साथ सम्परन्न हुई. आरम्भ में बैठक में कोटा के झूलते पुल हादसे में बड़ी संख्या में असामयिक काल का ग्रास बने कार्मिकों को दो मिनिट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी गयी. जलेस के शहर इकाई अध्याक्ष कविआकुलने इसे कोटा के इतिहास का एक काला दिन बताया और कहा कि अनेकों त्रासदियों को झेलता हुआ यह वर्ष राजस्थान ही नहीं कोटा के इतिहास में भी एक दुखांतिका सृजित कर गया. सृजन, साहित्य और शिक्षा को समर्पित कोटा के प्रबुद्ध वर्ग और अमन चैन से रह रही आम जनता को यह साल ऐसा दर्द दे गया जो लंबे समय तक सालता रहेगा. गोष्ठी में शोक प्रस्तारव पारित करते हुए जिलाध्यक्ष श्री रघुनाथ मिश्र ने जयपुर की आतंकवादी घटना, इंडियन ऑयल डिपों की घटना और कोटा के पुल हादसे से जान माल और अथाह धनहानि को वर्ष 2009 के इतिहास का काला अध्याय बताते हुए एकजुट रह कर प्राकृतिक आपदा और जन जन में फैलजे आक्रोश को अमन और शांति से सामना करने के लिए कहा.
श्री मिश्रा ने पधारे सभी कवियों और साहित्य कारों का स्वागत किया और काव्यगोष्ठी का शुभारंभ शहर के वरिष्ठ साहित्यकार श्री दुर्गाशंकर विजयवर्गीय ने अपनी रचना इस स्वार्थ की दुनिया में मुझे कुछ निष्काम कर्म करना हैमां सरस्वती को समर्पित करते हुए किया. इसे आगे बढ़ाते हुए ब्रजेंद्र सिंह झालापुखराजने शीत वसन पहने नया साल हो मंगलमयसे नये वर्ष की स्वागत तैयारी की और देशभक्ति गीतरक्त के क़तरों से सींचा है सारा चमनरचना से गोष्ठी में जोश भरा. लाखेरी से पधारे नवोदित कवि उर्मिल ने अपनी क्षणिकाओं से आज के प्रदूषित वातावरण पर व्यंग्य बिखेरा. गोपाल कृष्ण भट्टआकुलने देश में जलकुंभी की तरह बढ़ती झोंपड़ पट्टियों की समस्या पर अपनी रचना पढ़ी. उन्होंने कहा कि इस समस्या से अब कोटा भी पीछे नहीं है. कोटा में बढ़ती इस समस्या के चलते आज शिक्षानगरी में अभी तक हवाई सेवा बहाल नहीं हो सकी है. उन्होंने देश में इस समस्या के समाधान के लिए विफल रही देश की सरकार को अपनी कविताझोंपड़ पट्टीके माध्य से एक प्रस्ताव दिया. उन्हों ने अपनी कविता में सुनाया- असली राम राज यहां पनपेगा/यहां किसी घर में ताले नहीं लगेंगे/कबाड़ा यहां का उद्योग होगा/ खिचड़ी यहां का राजभोग होगा। फटे पुराने कपड़े जूते यहां की राजपोषाक होगी/कुपोषित खिचड़ी दाढ़ी यहां की पहचान होगी. उन्होंने पहलेउत्तहराखंडऔरझारखंडकी तर्ज पर नया राज्यझोंपड़ खंडबनाने के लिए गुहार की और फिर नये राष्ट्रझोंपड़ पट्टीबनाने का प्रस्ताव दे डाला. उन्हों ने हास्य और व्यंग्य के बीच अपनी लंबी कविता में इस प्राकृतिक त्रासदी से ग्रसित मुंबई की एशिया में सबसे बड़ी झोंपड़ पट्टीधारावीको केंद्रित करते हुए कहा कि यदि इसका उन्मूलन नहीं हुआ तो हर शहर एक धारावी को जन्मेगा. गोष्ठी को उंचाई प्रदान करते हुए इसी तर्ज पर रचनाकार आनंद हजारी ने देश की एक अन्य समस्या भिखारियों पर अपनी कविता में भिखारियों द्वारा अपनी साढ़े पांच मांगों को रखते हुए भिखारियों पर अपनी कविता पढ़ीभिखारियों की हड़ताल’. कवि किशन वर्मा ने हवाला कांड पर अपनी रचना सुना कर चुटकी काटी.
नववर्ष का स्वा गत तो करें पर कहीं ऐसा हो दिन दूनी रात चौगुने बदतर होते जा रहे देश के हालात से नया साल भी कहीं चपेट में जाये, अपनी कविता में वरिष्ठ कवि इंद्र बिहारी सक्सैना ने कहा- घात लगाये खड़े भेडि़ये, मुंह बायें घडि़याल कैसे फिर मंगलमय होगा आने वाला साल.’ कथाकार विजय जोशी ने भी पद्य में कोटा के पुल हादसे पर अपनी व्यथा गा कर सुनाई –‘रे सखी कैसे कहें बसंत.’ कवि गोरस प्रचंड ने चतुर चंट चिकने घड़े, ठाठ बड़े उनके/ सारे हरिश्चंद्र सबकी दाढि़यों में तिनके/ हमने दिये उनको पुष्पहार चुन चुन के सुना कर सरकार को आड़े हाथों लिया. जलेस शहर इकाई सचिव नरेंद्र कुमार चक्रवर्तीमोतीने नये वर्ष के लिए सभी कवियों का आह्वान करते हुए अपनी रचना अपनत्व की आधारशिला रखना हैसुनाई. जनवादी कवि श्री रघुनाथ मिश्र ने भी ज़िन्दीगी महज एक प्रवास नहीं है यारो/मुक्ति के स्ग्राम में जनवाद जीतेगा यक़ीनन/विज्ञान है सदियों का यह भड़ास नहीं है यारोसुना कर जनवाद को मुखर किया.
अल्पानहार के पश्चात् शायरी का दौर शुरू हुआ. शहर के जाने माने शायरों ने देश में बढ़ते भ्रष्टाचार, आतंकवाद और सरकार पर अपने अशआर नज़र किये. छोटे बहर की ग़ज़लों के जाने माने ग़ज़लकार डॉ; नलिन वर्मा ने दोस्ती अच्छी निभाते हो/बैठ हां में हां मिलाते होसुनाई. प्रख्यात शायर पुरूषोत्तमयक़ीनने ब्रज भाषा में देश के हालातों पर करारा व्यंग् करते हुए अपनी रचनाका पड़ी हमकूसुनाईतुम्हारो ही देश है, चाहे लूट के खाओ/ नित भूखे सो जाओ/ का पड़ी हमकू. हमें तो दिल्ली के बंगले में रहनो है/ तुम गांव पे इतराओ/ का पड़ी हमकूने गोष्ठी को एक नई उंचाई प्रदान की. शायर शकूर अनवर ने जापानी काव्य हाइकु की तर्ज पर पंजाबी माहिया प्रस्तुत कर छोटी रचनाओं में सारा संसार समेट लिया- दुनिया के झमेले में/क्यूं हाथ छुड़ाते हो/खो जाओगे मेले में.‘चाहो /हथियार खरीद लो/जेब में पैसे हों/तो सरकार खरीद लो.' से प्रशंसा लूटी.शायर चांद शेरी ने अपनी चिर परिचित कविताशहर में अपने ही भारी हो गयेसे प्रशंसा लूटी. जलेस के संस्थायपक सदस्यों में वरिष्ठ श्री महेंद्रनेहने गोष्ठी में शिरक़त कर गोष्ठी को चार चांद लगा दिये. उन्होंने नये वर्ष पर पर समर्पित अपनी नई कवितानया इतिहास लिखो रेगा कर सुनाई और दाद बटोरी. कवि शायर अखिलेशअंजुमने शायरी के दौर को परवान चढ़ाते हुए भ्रष्टाचार पर व्यंग्य करते हुए सुनाया ‘‍ज़िन्दगी का सफ़र और मुख्तलिफ हवा/वक्तअंजुमकड़े इम्तिहान का है.’
गोष्ठी का समापन अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठसाहित्यकार और पेशे से डॉक्टंर श्री अशोक मेहता द्वारा अध्यक्षीय भाषण से हुई. उन्होंने कहा कि जलेस में पधारे सभी कवियों ने जलेस की गरिमा को बढ़ा कर एकता का दृष्टांत प्रस्तुत किया है. जलेस ने हमेशा जन जाग्रति और लेखनधर्मिता के लिए अपनी प्रतिबद्धता को कभी शर्मसार नहीं होने दिया हैः
काव्य गोष्ठी में कवि डॉ; योगेन्द्र मणि कौशिक, नंद किशोर शर्मासरल’, देवकी नंदन स्वामी, विजेंद्र जैन, गयास फ़ैज़, उपासना मिश्र, बाल कवियत्री पूर्वी मिश्र आदि अनेकों कवियों, शायरों ने भी काव्य पाठ किया. गोष्ठी के अंत में गोपाल कृष्ण भट्टआकुलने शीघ्र छपने वाली अपनी आगामी पुस्तकजीवन की गूंजके पेम्फलेट आने वाले सभी साहित्यिकारों को वितरित किया. गोष्ठी का संचालन कर रहे सचिव श्री चक्रवर्ती ने पधारे सभी कवियों और साहित्यकारों का आभार प्रदर्शन किया.
रिपोर्ट- गोपाल कृष्ण भट्टआकुल’, अध्यक्ष शहर इकाई जलेस, कोटा एवं उपाध्यक्ष जिला जलेस इकाई, कोटा.

रिश्‍ते

रिश्‍ते अक़सर परेशान करते हैं.
इतना तो न नादान न शैतान करते हैं.
रिसते हैं बनके नासूर उम्र भर
उस पर इन्तिहा कि एहसान करते हैं.
रिश्‍तों की तासीर चार दिन,
बाक़ी ज़‍िन्‍दगी झूठे बयान करते हैं.
दर्द लिये फिरते हैं थोड़ा-थोड़ा दिल में
कितने हैं जो यह एलान करते हैं.
कट जायेगी ज़‍िन्‍दगी यूं ही 'आकुल'
हर क़दम पे दोस्‍त हैं इत्‍मीनान करते हैं.

सभी पाठकों को 'आकुल' का नववर्षाभिनन्‍दन.