7 नवंबर 2010

छोटे महाप्रभुजी ने अन्‍नकूट अरोगा

कोटा 6 नवम्‍बर। छोटे महाप्रभुजी मंदिर, रेतवाली, स्‍वरूप हाल बिराजमान 817 महावीर नगर द्वितीय में अन्‍नकूट सोल्‍लास सम्‍पन्‍न हुआ। अन्नकूट उत्सव के दर्शन प्रात: दस बजे से साढ़े ग्यारह बजे तक खोले गये। शहर में सभी पुष्टिमार्गीय सम्प्रदाय के मंदिरों में अन्नकूट के दर्शन दोपहर 2 बजे से खुलने के कारण वैष्णवों व कृष्ण भक्तों को अन्नकूट का लाभ लेने के परिप्रेक्ष्य में छोटे महाप्रभुजी के अन्नकूट के दर्शन जल्दी खोलने का निर्णय लिया गया। प्रात: साढ़े नौ बजे श्रीगिरिराजजी का अभिषेक कर गोवर्धन पूजा की गयी और अन्नकूट भोग लगाया गया। भोग के दौरान परिवार ने अंतर्गृही परिक्रमा की। बाद में दस बजे दर्शन खोले गये। वैष्णवों ने इस अन्नकूट को मिनी छप्पन भोग के रूप में अन्‍नकूट के अवसर पर अन्नकूट की महिमा और बनायी गयी सामग्रियों के बारे में भी वैष्णवों को विस्तार से बताया गया। अन्नकूट की दो अवधारणायें प्रचलित हैं। श्रीकृष्णावतार में इंद्रदमन लीला के पश्चात् इंद्र के कोप से वर्षा से नष्ट हुए पूरे गोकुल से गोकुलवासियों को श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की तलहटी में आश्रय देने के बाद वृन्दावन ले जाकर अस्थायी रूप से स्थापित किया। बाद में गोकुल का पुनर्निर्माण कर उन्होंने गोकुलवासियों का गोकुल ला कर बसाया, जिसकी प्रसन्न्ता में पूरे ग्रामवासियों द्वारा सहभोज आयोजित किया गया, जिसे आज भी वैष्णव भक्‍त प्रकृति प्रेम और गोधन की रक्षा के प्रतीक के रूप में अन्नकूट त्सव को मनाते हैं। दूसरी अवधारणा के रूप में गो0 बेटीजी ने बताया कि दीपावली उत्सव धन की देवी लक्ष्मी को आह्वान करते हुए लक्ष्मी पूजन के रूप में मनाया जाता है और दीवाली के दूसरे दिन धान्य के देव कुबेर के आह्वान के रूप में अन्नकोट सजा कर धान्य की पूजा के रूप में उन्हें प्रसन्न करने के लिए अन्नकूट के रूप में मनाते हैं, ताकि नववर्ष में घर धन-धान्य से भरा रहे ।
(चित्र, वीडियो व समाचार विस्‍तार से saannidhyasrot.blogspot.com पर देखें)





कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें