22 अप्रैल 2011

पृथ्‍वी दिवस पर पृथ्‍वी को हरा भरा रखने का संकल्‍‍प लें

आज पृथ्‍वी दिवस है। आइये संकल्‍प लें कि अधिक से अधिक वृक्षारोपण करेंगे। पिघलते ग्‍लेशियर, तपती धरती, घटते जंगल, बंजर जमीन, खत्‍म होते संसाधन, सुनामी, ज्‍वालामुखी, भूकम्‍प, जनसंख्‍या संकट, रेगिस्‍तान, बढ़ते तापमान, और सबसे बड़े स्‍वास्‍थ्‍य संकट के लिए हमें धरती को बचाना होगा। उसे हरा भरा करना होगा ताकि प्राकृतिक संतुलन के साथ हम ज्‍यादा से ज्‍यादा खुशहाली पैदा कर सकें। आइये, एक साल में अधिक से अधिक या एक संख्‍या नियत कर नये पौधारोपण का दृढ़ निश्‍चय करेंगे और उसे पूरा करने का हर संभव प्रयास करेंगे। जहाँ आप कार्य करते हैं, व्‍यवसाय करते हैं, उसके परिसर में यथा संभव उचित स्‍थान पर नया पौधा रोपेंगे और अपने साथियों को भी प्रोत्‍साहित करेंगे। यदि आप नया भवन निर्माण करवा रहे हैं या आरंभ करने वाले हैं तो साथ साथ घर के बाहर एक या दो पौधों का रोपण करना तय कर लें ताकि भवन में पानी की आवश्‍यकता के साथ साथ पौधों को भी रोज पानी मिलता रहे। शहर अथवा घर के आस पास कहीं भी वृक्षों की कटाई हो रही हो तो उसे न तोड़ने दें। ज्‍यादा से ज्‍यादा उद्यान विकसित करने के लिए प्रयास करें, प्रशासन को जगह जगह उद्यान लगाने का आग्रह करें। बच्‍चों और जनता में पर्यावरण के प्रति जागरूकता स्‍थापित करने के लिए आयोजन करें, नुक्‍कड़ नाटक करें, उसके लाभ बतायें, प्रकृति के विदोहन से होने वाले हानिप्रद कारणों को बतायें। प्रदूषण से होने वाले परिणामों के पर्चे बाँटें। पास पड़ौस, मोहल्‍लों और अपने शहर को स्‍वच्‍छ रखने में मदद करें। कचरा नियत स्‍थान पर डालें व डालने के लिए लोगों को प्रोत्‍साहित करें। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए वाहन को आवश्‍यकता पड़ने पर ही इस्‍तेमाल करें। पैदल चलने की प्रवृत्ति बढ़ायें ताकि स्‍वास्‍थ्‍य पर विशेष ध्‍यान दे पायें। सुबह शाम पैदल घूमने की प्रवृत्ति डालें। जिससे आप सड़कों, मोहल्‍लों में पड़े कचरों से व्‍यथित होंगे और समूह बना कर इस के प्रति संवेदनशील बनेंगे और इसका प्रतिरोध कर प्रशासन को सफाई के लिए आग्रह कर सकेंगे और सफाई के लिए प्रशासन को चेता सकेंगे। किसी को तो पहल करनी ही होगी। आप से क्‍यों न इसका आगाज़ हो। शहर स्‍वच्‍छ रहेगा, तो हम स्‍वच्‍छ और स्‍वस्‍थ रहेंगे, वातावरण स्‍वस्‍थ और प्रदूषण रहित होगा तो प्रकृति मुसकुराएगी और पृथ्‍वी पर हरियाली छायेगी।
(पृथ्‍वी का जन्‍म दिवस- लघुकथा पढ़ें 'मेरी लघु कथायें' में)

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