22 मई 2011

पं0 बृज बहादुर पाण्डेय स्‍मृति सम्‍मान के लिए ‘आकुल’ का चयन। 1 जून को बहराइच (उ0प्र0) में सम्‍मानित होंगे

कोटा। कोटा के जनवादी कवि गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ को पं0 बृज बहादुर पाण्डेय स्मृति सम्मान के लिए चयन किया गया है। कजरा इण्टरनेशनल फि‍ल्म्‍स समिति, गोण्‍डा, साहित्य एवं सांस्कृतिक अकादमी, बहराइच, शिक्षा साहित्य कला विकास समिति, श्रावस्ती तथा अवध भारती समिति, बाराबंकी के संयुक्‍त तत्‍वावधान में 1 जून को बहराइच के भानीरामका अतिथि भवन में एक भव्य समारोह में उन्हें सम्मानित किया जाएगा। श्री भट्ट को आमंत्रण मिल चुका है। उन्होंने समारोह के आयोजक प्रख्यात साहित्यकार कवि चिकित्सक डॉ0 अशोक पाण्डेय ‘गुलशन’ को अपनी स्वीकृति दे दी है। श्री आकुल 31 मई को बहराइच के लिए रवाना होंगे।
डॉ0 अशोक ‘गुलशन’ ने उन्हें बताया कि यह समारोह प्रख्यात समाज सेवी एवं साहित्य सेवी स्व0 पंडित बृज बहादुर पाण्डेय की 15वीं पुण्यतिथि पर 29 मई को आयोजित होना था, किन्तु अपरिहार्य कारणों से अब यह 1 जून को आयोजित हो रहा है। इस समारोह में फि‍ल्म व दूरदर्शन जगत् के कुछ प्रख्यात सिने अभिनेताओं और अनेकों साहित्यकारों को बुलाने का प्रयास किया जा रहा है। इस समारोह में शारदा देवी स्मृति सम्मान भी प्रदान किया जाएगा। यह सम्मान विदुषी महिला साहित्यकार को प्रदान किया जाता है।
समारोह में साहित्‍यकारों को सम्‍मान स्वरूप शॉल, सम्मान पत्र, साहित्य तथा प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया जाएगा। डॉ0 गुलशन ने बताया कि प्रात: ग्या‍रह बजे से आरंभ इस समारोह में आरंभ में विचार गोष्ठी, उसके बाद दोपहर का भोजन, दोपहर बाद सम्मान समारोह और रात्रि भोजन पश्चात् कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है।
इस सम्मा‍न के लिए जून 2010 से अप्रेल 2011 के मध्य प्रकाशित पुस्तकें आमंत्रित की गयी थीं। श्री ‘आकुल’ की पुस्तक ‘जीवन की गूँज’ काव्य संग्रह को इस सम्‍मान के लिए चयन किया गया। ज्ञातव्य‍ है यह पुस्तक 27 मार्च 2011 को उज्जैन की साहित्यिक संस्था ‘शब्द प्रवाह साहित्य मंच’ द्वारा भी पुरस्कृत की गयी थी और श्री भट्ट को ‘शब्द श्री’ की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया था।
जनवादी लेखक संघ, शहर इकाई के सचिव श्री नरेंद्र कुमार चक्रवर्ती ने बताया कि श्री भट्ट के लौटने पर एक बैठक में उनके इस साहित्यिक दौरे के संदर्भ में विचार गोष्ठी रखी जाएगी। कोटा के अनेक साहित्यकारों ने श्री भट्ट को इस सम्मान के लिए चयन होने पर बधाई दी।

17 मई 2011

मधुबन माँ की छाँव

-दोहे-
‘आकुल’ या संसार में, एक ही नाम है माँ ।
अनुपम है, संसार के, हर प्राणी की माँ ।।1।।

माँ की प्रीत बखानिए, का मुँह से धनवान ।
कंचन तुला भराइये, ओछो ही परमान ।।2।।

मन-मन सब को राखि के, घर-बर कूँ हरसाय ।
सबहिं खिलाए पेट भर, बचो खुचो माँ खाय ।।3।।

मधुबन माँ की छाँव है, निधिबन माँ की गोद ।
काशी, मथुरा, द्वारिका, दर्शन माँ के रोज ।।4।।

माँ के माथे चन्द्र है, कुल किरीट सो जान ।
माँ धरती, माँ स्वर्ग है, गणपति लिख्यो विधान ।।5।।

मान कहा, अपमान कहा, माँ के बोल कठोर ।
माँ से नेह न छोड़ियो, कैसौ ही हो दौर ।।6।।

‘आकुल’ नियरे राखिये, जननी जनक सदैव ।
ज्यों तुलसी कौ पेड़ है, घर में श्री सुखदेव ।।7।।

पूत कपूत सपूत हो, ममता करे न भेद ।
मीठो ही बोले बंसी, तन में कितने छेद ।।8।।

तन मन धन सब वार के, हँस बोले बतराय ।
संकट जब घर पर आए, दुनिया से भिड़ जाय ।।9।।

तू सृष्टि की अधिष्ठात्री, देवी, माँ तू धन्य ।
फि‍रे न बुद्धि ‘आकुल’ की, दे आशीष अनन्य ।।10।।

8 मई 2011

माँ

माँ आँखों से ओझल होती।
आँखें ढूँढ़ा करती रोती।
वो आँखों में स्वप्न सँजोती।
हर दम नींद में जगती सोती।
वो मेरी आँखों की ज्योति।
मैं उसकी आँखों का मोती।
कितने आँचल रोज़ भिगोती।
वो फि‍र भी न धीरज खोती।
कहता घर मैं हूँ इकलौती।
दादी की मैं पहली पोती।
माँ की गोदी स्वर्ग मनौती।
क्या होता जो माँ न होती।
नहीं जरा भी हुई कटौती।
गंगा बन कर भरी कठौती।
बड़ी हुई मैं हँसती रोती।
आँख दिखाती जो हद खोती।
शब्द नहीं माँ कैसी होती।
माँ तो बस माँ जैसी होती।
आज हूँ जो वो कभी न होती।
मेरे संग जो माँ न होती।

मातृ दिवस पर