30 सितंबर 2015

कहते हैं (ग़ज़ल)

कहते हैं झूठ मीठा और सच कड़वा होता है।
कहते हैं बगावतों से अकसर बलवा होता है।
चुप रहना दिन ब दिन समस्‍यायें बढ़ाता है कई,
कहते हैं सच पर जारी अक़सर फ़तवा होता है।
झूठ से इंसाँ हमेशा रहता है डरा-डरा सा,
कहते हैं सच बेख़ौफ़ और बेपरवा होता है।
ऐसा भी नहीं है सच ने सदा ही खुशियाँ दी हों,
कहते हैं ज़ि‍न्‍दगी दे झूठ तब वह दवा होता है।
झूठ की तरह सच याद नहीं रखना पड़ता कभी,
कहते हैं यही सच्‍चाई का जलवा होता है।
झूठ जेठ की दुपहरी, सच सावन की फुहारें हैं,
कहते हैं सच बहार, झूठ ख़़ि‍ज़ाँ का बिरवा होता है।
झूठ के पाँव नहीं होते, हवा में उड़ता 'आकुल',
कहते हैं सच्‍चाई से सदा डर हवा होता है।

28 सितंबर 2015

मैं कौनसा गीत सुनाऊँ----लताजी 86वर्ष की हुईं।

लता मंगेशकर
लता मंगेशकर 
आज स्‍वर साम्राज्ञी भारत रत्‍न लताजी का 87वाँ (28 सितम्‍बर 1929) जन्‍मदिन है। उनके बारे में सबने अपने अपने तरीके से लिखा है।
उनकी महिमा का बखान सूरज को रोशनी दिखाने के समान है। बस यूँ ही उनके बारे में कभी कुछ सोच लें, उनसे प्रेरणा लें और उनका अनुकरण, अनुसरण करें, पथ कोई सा भी हो संगीत हो, साहित्‍य हो, व्‍यवसाय हो, बस कुछ कर गुजरने की इ्च्‍छाशक्ति हो।आज लता जी को मिले पुरस्‍कार सम्‍मान शायद छोटे पड़ जाते हैं, इन सम्‍मानों का सम्‍मान होता है लताजी से जुड़ कर। उनके गाये अमर गीतों से हम हमेशा उन्‍हें याद करते हैं और करते रहेंगे। लताजी वो शख्सियत हैं जिनके 50 हजार से अधिक गाये गीत गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हैं।इसके अलावा लता मंगेशकर को वर्ष में पद्मभूषण, वर्ष 1989 में दादा साहब फाल्‍के सम्‍मान, वर्ष 1999 में पद्म विभूषण और वर्ष 2001 में भारत रत्‍न जैसे कई सम्‍मान प्राप्‍त हो चुके हैं। 
राजनीति हर जगह हावी रहती है। कुछ घटनायें हैं जिन्‍हें याद कर वे आज भी रोमांति हो जाती हैं। जैसे उन्‍हें धीमा ज़हर दे कर मारने की कोशिश की गई, लेकिन वे बच गयीं। उन्‍होंने संगीतकार नौशाद को कभी ऑडिशन नहीं दिया, वो बात अलग है कि उन्‍होनं चतुराई से उर्दू शब्‍दों के तलफ़्फु़ज को बयाँ करने के अंदाज़ को देखना चाहते थे और वे मना नहीं कर सकीं, ओ- पी- नैयर के निर्देशन में उन्‍होंने नहीं गाया। कई बातें उनकी बहुत सम्‍मान की जाती हैं, वे स्‍टूडियों में कभी चप्‍पल पहन कर नहीं गयीं। दूसरी गायिकाओं का मौका नहीं देने के भी उन पर आरोप लगे, पर वे सबसे बे‍फि‍क्र हो कर अपनी यात्रा करती रहीं। अपनी सरस्‍वती की साधना में लगी रहीं। पूरी तरह से स्‍थापित हो जाने के बाद कभी वे काम माँगने नहीं गईं। लंबे समय तक  समय तक स्‍टेज शो आदि नहीं दिया करती थीं, किन्‍तु बाद में सभी के आग्रहों पर कई यादगार कंसर्ट उन्‍होंने किये और विदेशों में भी अपना परचम फहराया। उनके गाये दूसरे कलाकारों गायकों के गाये ये गीत 'ओ मेरे दिल के चैन' और 'कहीं दूर जब दिन ढल जाये' सदाबहार हैं। मस्‍तोमौला और खिलंदड़ स्‍वभाव के किशोर कुमार तो लताजी के सामने या लता जी के साथ स्‍टूडियो में अनुशासन से गाते थे। मुकेशजी को तो वे भाई मान कर राखी बाँधती थीं।आज उनके सम्‍मान में मैं एक गीत, जो बहुत कम एफएम, रेडियो अथवा टीवी पर दिखाई सुनाई पड़ता है, आशा है आप भी पसन्‍द करेंगे। वह गीत है 'मैं कौनसा गीत सुनाऊँ, क्‍या गाऊँ जो पिया बस जाये, मेरे तन मन में' बासु चटर्जी की फि‍ल्‍म 'दिल्‍लगी' का, जिसमें संगीतकार राजेश रोशन ने बहुत ही बेहद उम्‍दा संगीत दिया है, गीत योगेश ने लिखा है, और फि‍ल्‍म में यह धर्मेन्‍द्र, हेमा, असरानी आदि कुछ कलाकारों के बी नदी के किनारे फि‍ल्‍माया गया हे। सुना है उनके लिए प्रख्‍यात शास्‍त्रीय गायक बड़े गुलाम अली खाँ साहब ने उनके बारे में किसी महफि‍ल में किसी से बडृे प्‍यार से कहा था 'कमबख्‍़त बेसुरी नहीं होती।' उनकी सुरीली आवाज तो ठीक उनकी आवाज का जादू था कि बात करते समय भी इतनी मीठी सुनाई देती है, जैसे मिश्री घोल दी हो। श्रीमती इन्दिरागाँधी तो उनसे बात करते करते उनको देखती ही रहतीं और उनकी आवाज़ में खो जाती थीं। लीजिए उनके साथ का एक अविस्‍मरणीय फोटो लताजी का एवं स्‍व0 राजकपूर एवं बॉलिवुड की टीम का यहाँ संलग्‍न है। 
बायें से कुछ चर्चित कलाकार- (खड़े हुए ) अनिल धवन, धर्मेन्‍द्र, विनोदखन्‍ना, फि‍रोजख़ान, शर्मिला टैगोर, सायराबानो, राजेंद्र कुमार, लता मंगेशकर, संगीतकार कल्‍याणजी, बी0आर0चौपड़ा, रामानन्‍द सागर।  (कुर्सी पर) श्रीमती इन्दिरागाँधी । (जमीन पर बैठे हुए)- नौशाद, दिलीप कुमार, राजकपूर, मनोज कुमार, संगीतकार आनन्‍दजी आदि

O Mere Dil Kay Chain (Lata Mangeshkar)

26 सितंबर 2015

गणेशाष्‍टक से गणेश आराधना

जय गणेश, जय गणेश, गणपति, जय गणेश।
सिद्धि विनायक, शिव गौरी सुत, जय गणेश।।

धरा सदृश्‍ा माँ है, माता की परिकम्‍मा कर आए।
एकदन्‍त गणनायक गणपति प्रथम पूज्‍य कहलाए।।
प्रथम पूज्‍य कहलाए गणपति जय गणेश।
गाएँ सब लम्‍बोदर गणपति, जय गणेश।।1।।

जय गणेश, जय गणेश, गणपति, जय गणेश ।।

लाभ क्षेम दो पुत्र, ॠद्धि सिद्धि के स्‍वामि गजानन।
अभय और वर मुद्रा में करते कल्‍याण गजानन।।
करते कल्‍याण गजानन, गणपति जय गणेश।
भावभक्ति से पूजें गणपति, जय गणेश।।2।।

जय गणेश, जय गणेश, गणपति, जयगणेश।।

मानव देव असुर सब पूजें, त्रिदेवों ने गुणगाए।
धर त्रिपुण्‍ड मस्‍तक पर शशिधर भालचन्‍द्र कहलाए।।
भालचन्‍द्र कहलाए गणपति, जय गणेश।
सिन्‍दूर धराओ सब मिल गण्‍पति जय गणेश।।3।।

जय गणेश, जय गणेश, गणपति, जय गणेश।।

असुर नाग नर देव स्‍थापक चतुर्वेद के ज्ञाता।
जन्‍म चतुर्थी, धर्म-अर्थ और काम-मोक्ष के दाता।
काम-मोक्ष के दाता, गणपति, जय गणेश।
विघ्‍न विनाशक, तारक गणपति, जय गणेश।।4।।

जय गणेश, जय गणेश, गणपति, जय गणेश।।

पंचदेव और पंचमहाभूतों में प्रमुख कहाये।
बिना रुके लिख महाभारत महाआशुलिपिक कहलाए।
आशुलिपिक कहलाए गणपति, जय गणेश।
शास्‍त्री, बु‍द्धि प्रदाता, गणपति, जय गणेश।।5।।

जय गणेश, जय गणेश, गणपति, जय गणेश।।

अंकुश, पाश, गदा, खड़्ग लड्डू चक्र षड्भु धारे।
मोदक प्रिय मूषक वाहन प्रिय शैलसुता के प्‍यारे।
शैलसुता के प्‍यारे गणपति, जय गणेश।
भ्रात कार्तिकेय हैं जय गणपति, जय गणेश।।6।।

जय गणेश, जय गणेश, गणपति, जय गणेश।।

सप्‍ताक्षर 'गणपतये नम:' सप्‍तचक्र मूलाधारी।
विद्या वारिधि वाचस्‍पति, महामहोपाध्‍याय अनुसारी।
सप्‍ताक्षर 'गणपतये नम:' जय गणेश।
गणनाथ नमो नमस्‍ते, गणपति जय गणेश।।7।।

जय गणेश, जय गणेश, गणपति, जय गणेश।।

छन्‍दशास्‍त्र के अष्‍टगणाधिष्‍ठाता अष्‍टविनायक।
आकुल जय गणेश जय गणपति सबके कष्‍टनिवारक।
सबके कष्‍टनिवारक गणपति, जय गणेश।
शोक विनाशकारकम् गणपति, जय गणेश।।8।।

जय गणेश, जय गणेश, गणपति, जय गणेश।।


22 सितंबर 2015

हिन्‍दी सबको प्‍यारी होगी

हिन्‍दी सबको प्‍यारी होगीं ।
इसकी छवि उजियारी होगी।।

ना कोई लाचारी होगी ।
अब ना ये बेचारी होगी।
ना कोई रँगदारी होगी।
मर्दुम रायशुमरी होगी।

खड़ी फौज सरकारी होगी।
भाषा अब दरबारी होगीं ।
अंग्रेजी पर भारी होगी।
फि‍र भी यह हितकारी होगी।

जब तक ना खुददारी होगी।
जब तक ना तैयारी होगी।
हिन्‍दी से ना यारी होगी।
आर पार की पारी होगी।

संसद में किलकारी होगी।
प्रतिनिधियों की बारी होगी।
तब ही जीत हमारी होगी।
जीत हमारी न्‍यारी होगी।

कुलकिरीट मणिधारी होगी।
हिन्‍दी की बलिहारी होगी।
राजपत्र में जारी होगी।
तब होरी दीवारी होगी।

हिन्‍दी सबको प्‍यारी होगीं ।
इसकी छवि उजियारी होगी।।

21 सितंबर 2015

नवगीत गुलदस्‍ता है


कविता कली, गीत गुल
नवगीत गुलदस्‍ता है।

कवियों ने इसे कई
नए आयाम दिये हैं
मुक्‍तछन्‍द की रौ में 
बहते पयाम दिये हैं

साहित्‍य संगीत से
इसमें रस मधुरता है। 


छन्‍दानुशासन प्रकृति
लोकगीत लुभावन है
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
प्रयोग भी रिझावन है

 लोक संस्‍कार इसमें
झलकती समरसता है।


मूलभाव रचना का
हो सदैव प्रतीकात्‍मक
सम्‍भव हो सके बने
वह सदैव सकारात्‍मक

गूँजता है नवगीत
जहाँ जीवन बसता है।

कविताओं गीतों ने
इसमें रवानी भर दी
फ़ज़ा ने प्राण फूँके
इसमें जवानी भर दी

हवा गुनगुनाती है
तब नवगीत बनता है।

14 सितंबर 2015

हिन्‍दी पूरब की थाती है

हिन्‍दी पूरब की थाती है।
चहूँ दिशा जानी जाती है।।

इसका विस्‍तृत है शब्‍दकोष
स्‍वर व्‍यंजन से है ज्ञानकोष
लिखते वैसा जैसा बोलें,
जिससे मिटते  हैं वाक्दोष।

है वैज्ञानिक आधारित यह।
संस्‍कृति इसके गुण गाती है।
हिन्‍दी पूरब की थाती है।।

सरल सुपाठ्य इसकी अभिव्‍यक्ति
है अदम्‍य साहस और शक्ति
इसका चुम्‍बकीय आकर्षण,
भावविभोर हो जाता व्‍यक्ति।

प्रादुर्भाव देव भाषा से,
देवनागरी कहलाती है।
हिन्‍दी पूरब की थाती है।।

कर्ता, कर्म, विशेषण, कारक,
संज्ञा, सर्वनाम संवाहक
क्रिया, वचन, स्‍वर, व्‍यंजन सारे,
सरल व्‍याकरण है परिचायक

वर्णमाल इसकी सुनियोजित,
लिखते पढ़ते आ जाती है।
हिन्‍दी पूरब की थाती है।।

आज चुनौती बनी हुई है
अंग्रेजी से ठनी हुई है
जालघरों से जुड़ी हई यह,
विश्‍वजनों संग खड़ी हुई है।

यह कवि मनीषियों की भाषा,
अतुलित ऊर्जा भर जाती है।
हिन्‍दी पूरब की थाती है।।

थाती- धरोहर

9 सितंबर 2015

हिन्‍दी बने विश्‍व की भाषा

हिन्‍दी बने विश्‍व की भाषा 
स्‍वाभिमान की है परिभाषा।
गंगा जमनी जहाँ सभ्‍यता,
पल कर बड़ी हुई है भाषा।
संस्‍कृति जहाँ वसुधैवकुटुम्‍बकम्,
हिन्‍दी संस्‍कृत कुल की भाषा।
बाहर के देशों में रहते,
हर हिन्‍दुस्‍तानी की भाषा।
हर प्रदेश हर भाषा भाषी,
हिन्‍दी हो उन सबकी भाषा।
आज राजभाषा है अपनी,
कल हो राष्‍ट्रकुलों की भाषा।
बने राष्‍ट्रभाषा यह 'आकुल',
बस यह है मन की अभिलाषा।

1 सितंबर 2015