29 सितंबर 2016

विश्‍व हृदय दिवस

हरिगीतिका छंद 
2212   2212   2212   2212 
विश्‍व हृदय दिवस 

आज हृदय दिवस पर कुछ कुछ समझिए समझाइए।आज दिन हँस बोल कर दिल को तनिक बहलाइए।

जीवन कभी माशा कभी तोला कभी रत्‍ती जिया,
दिल पर रखें कम बोझ दिल को ना बहुत भड़काइए।

इस उमर में बच्‍चों के लिए एक शिक्षक आप हैं,
उनके लिए बच्‍चे सरीखा भी कभी बन जाइए।

जो भी करें दिल खोल कर दिल की सुनें दिल का करें,
घूमें फिरें परिवार सँग दिन भर कहीं मत जाइए।

जीता जगत, जीती धरा, जीता गगन, जीती उमर,
जीतें सभी का दिल भला कर के अमर हो जाइए।

25 सितंबर 2016

मुक्‍तक

(उड़ी दु:खान्तिका पर)
1-
आओ चलो नमन करें,श्रद्धा सुमन अर्पण करें ।
रणबाँँकों के बलिदान पर, बस यही तर्पण करें।
जो चले सदैव अडिग रहे, स्‍वधर्म कर्मपंथ पर,
वतन पे हुतात्‍माएँँ ही, बस देह समर्पण करें।।

2-
रात भर सोचा किए जुबान में कब तलक छाले रहेंगे।
जल रहा है देश सबके मुँह पर, कब तलक ताले रहेंगे।
डस रहे हैं बार-बार आस्‍तीन में छिपे जहरीले नाग,
बन के नासूर घााव बगल के, कब तलक पाले रहेंगे।।

(फितरत) 

3-
गुलाब से ताज बनाया, हार बनाया पर खार नहीं जोड़ा।
ढूँढ़ा किए दोस्‍त को, दुनिया का कोई बाजार नहीं छोड़ा।
जिसने भी निभाई दोस्‍ती फूलों से ही निभाई 'आकुल',
इसीलिए कभी मैंने अपनी असलियत को यार नहीं छोड़ा।।

4-
गुलशन में ढूँढ़ा तुझे गुलाब लिए।
सहरा में भटकता रहा सराब लिए।
शाम को शमा थी और खामोशी थी,
रात मिली  तेरा इक हसीन ख्‍वाब लिए।।

5-
भेंट अनुग्रह कीजिए, बढ़ता उनसे प्रेम।
पत्र पुष्‍प के साथ हो, मिलते बहुत सप्रेम।
फिर देखों नित करेंगे, कुशल-क्षेम की बात।
कैसा दुनिया का चलन, कैसा निश्‍छल प्रेम।।

21 सितंबर 2016

विश्व शांति दिवस, अहिंसा दिवस है आज

19 सितम्‍बर 2016 को उड़ी में आतंकवादी घटना में मारे गये सैनिकों को श्रद्धांजलि देते सैनिक 
विश्व शांति दिवस, अहिंसा दिवस है आज।
दिल्लीे में फिर कैंची से गोद कर
एक मासूम युवती की हत्या
राजस्‍थान में लालबत्‍ती वाली गाड़ी से फिर 
हिट एंड रन की एक घटना लेकिन
केस दर्ज हुआ एक्सीडेंट का
पाक सीमा पर कल रात फिर
पाक की ओर से कवर फायर के बाद
आतंकवादी घुसपैठ जिस पर
हमारे जाँबाज़ सैनिकों ने
10 आतंकवादी मार गिराये
क्याे, क्‍या हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था और
हम करते रहते सिर्फ अहिंसा और
शांति की बात क्योंकि
विश्व शांति दिवस और अहिंसा दिवस है आज।

जर्मनी ने कहा है
पाक में चल रहे आतंकवादी कैंपों को
ध्वस्त करने का
भारत को पूरा अधिकार है
देखिए चश्मदीद घटना
भारत में हुए इस नापाक हमले पर
पाक का संवेदनाशून्य रवैया
अमेरिका पहुँच गये
बनके कितने शरीफ और
गाया फिर काश्मीरी आलाप
फ्रांस, रूस, जर्मनी और जापान
आए भारत के समर्थन में 
अमेरिका ने पाक को लताड़ा 
फिर भी अगर भारत 
रणनीति ही बनाता रहे और
अमल ना करे, वह भी इसलिए कि
विश्व शांति दिवस, अहिंसा दिवस है आज।

आज फिर मौका है कश्मीर को
अपना बनाने का
दूर तक आतंकवादियों को
खदेड़ने का
1947 में कबाइलियों का
आतंक बढ़ा था और
कश्मीर को तब सरदार पटेल की
हुंकार ने बचा लिया था
आज जैश का जोश ठंडा करने के लिए
क्या मोदी की हुंकार सुनाई देगी
सरदार पटेल भी गुजराती थे
मोदी भी गुजराती हैं
लोहा गर्म है क्या
चोट की जाएगी या
हमारा जोश फिर ठंडा पड़ जाएगा
गांधी के अहिंसा के
नारों के सम्मान में क्योंकि
विश्व शांति दिवस, अहिंसा दिवस है आज।

भारत के ही मच्छंर जब
अहिंसा की बात नहीं करते
चिकनगुनिया और डेंगू से
लोगों को मार रहे हैं
सीमा पर मुट्ठी भर मच्छरों से
हमारे सैनिक मर रहे हैं
हमारी सरकारी व संवैधानिक व्यवस्थाओं का
सबसे ज्यादा असर शहरों ही नहीं
पूरे देश की सफाई व्यवस्था पर पड़ा है
सफाई होनी चाहिए,
देश के भीतर भी और देश के बाहर भी
देश में सैंकड़ों आतंकी मच्छरों, दुष्कार्मियों, लुटेरों,
भ्रष्टाचारियों के रूप में आक्रमण कर
देश को कमजोर कर रहे हैं और
सीमा पर सीमापार के मच्छर और
कुत्सित विचारधारा के लोग
सीमा पर हमारी सेना के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं
दोनों ही स्थिति में हमें चाहिए
सरकारी आदेश पर कब,
कब तक इंतजार करते रहें इसलिए कि
विश्व शांति दिवस, अहिंसा दिवस है आज।

अब करो या मरो के रूप में
भारत में भी जेहाद का
फरमान जारी होना चाहिए
कश्मीरियों को यदि
लगता है कि वे पाकिस्तान में
ज्यादा सुखी रहेंगे तो 
सर्वे करवा लो
उन्‍हें कश्मीर भेज दो या
उन्‍हें भारत चाहिए तो
कश्मीर को अपना कह कर
कश्मीर को अपनाओ
पाकिस्‍तान से ज्‍यादा
मुसलमान भारत में
ज्‍यादा सुखी और सुरक्षित हैं
सर्वे करवा लो।
यूँ अकाल मौत से अच्छा है
हम रण में रणबाँकों की तरह मरें
आज कसम खायें कि
विश्व में शांति और अहिंसा के लिए
कदम उठाएँगे और और अगले साल
विश्व शांति दिवस, अहिंसा दिवस मनाएँगें।

17 सितंबर 2016

सरस्‍वती वन्‍दना

सरस्‍वती 
हे वीणाधारिणी वर दे.
हे हंसवाहिनी वर दे .
वर दे, वर दे, वर दे.....
हे निर्मल बुद्धि प्रदायिनी,
सद्बुद्धि सभी को प्रखर दे.

वर दे, वर दे, वर दे.....

हे चतुर्भुजा इक मुख ,
हाथों में वीणा वेद लिए माँँ .
हे सरस्‍वती, हे आदिशक्ति,
तुम रूप अनेक लिए माँँ.

हे वीणावादिनी वर दे.
हे मयूर वाहिनी वर दे.
वर दे, वर दे, वर दे.....
हे वाणी विद्यादायिनी,
विद्या का सभी को शिखर दे.

वर दे, वर दे, वर दे.....

स्‍तुति करें साहित्‍य-कला-
संगीत में सबको स्‍वर दे .
हे प्रगति श्रेय वागीशा,
बुद्धि सामर्थ्‍य  सभी में भर दे.

हे ज्ञानदायिनी वर दे.
हे उत्‍कर्षदायिनी वर दे.
वर दे, वर दे, वर दे.....
हेे उज्‍ज्‍वला वागीश्‍वरी,
वाक्पटुता सभी को मुखर दे.

वर दे, वर दे, वर दे.....


16 सितंबर 2016

सान्निध्य: अभिव्‍यक्ति में 'आकुल' के नवगीत संग्रह 'जब से मन क...

सान्निध्य: अभिव्‍यक्ति में 'आकुल' के नवगीत संग्रह 'जब से मन क...:

अभिव्‍यक्ति में 'आकुल' का नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली'

अभिव्‍यक्ति में 'आकुल' के नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' की समीक्षा

अभिव्‍यक्ति में 'आकुल' का नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली'

झूठ (दोहे)

झूठ कभी ना जीतता, करलो जतन हजार।
भले देर से ही सही, सच जीते हर बार।।
झूठ 
**
झूठ सदा भारी पड़ा, बढ़े अधर्मी पाप।
सत्‍य तभी निर्बल पड़ा, हुए न दृढ हम-आप।
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सत्‍य सदा जो बोलता, रखना पड़े न याद।
एक झूठ  करता सदा, सौ झूठी फरियाद।
**
झूठे की रहती सदा, रातों नींद हराम।
सच्‍चा सोता चैन से, कर के सारे काम।।
**
झूठ घटाती मुश्किलें, भ्रम तू ये ना पाल।
घर में ही क्‍या कम पलें, दुनिया के जंजाल।

15 सितंबर 2016

वामन अवतार

'वामन जयंती' (13 सितम्‍बर,2016 को) के अवसर पर 'वामन अवतार' पर रोला छंद (11-13) में कथा-
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कश्‍यप-अदिति सुपुत्र, प्रथम त्रेता अवतारी।
वामन रूप स्‍वरूप, धरा कुछ सोच विचारी।
वामन अवतार 
बलि दयालु प्रह्लाद, पौौत्र सुत असुर विरोचन।
जीत लिया तिरलोक, किया तप सिद्ध प्रयोजन।।1।।

राजसभा में पहुँच गये, मुनि वामन बन कर।
बलि  जब हुआ प्रसन्‍न, देख बालक सा मुनिवर।
बलि ने तप से जीत, त्रिलोकी राज बढ़ाया।
था प्रबुद्ध किन्‍तु  बलि, उनको हरा न पाया।। 2 ।।

वामन का अवतार, धारि पग तीन बढ़ाए।
देवलोक, भूलोक, लिए मुनि माथ बिठाए।
कर अमरत्‍व प्रदान, बलि पाताल बिठाए। 
देवलोक पा इन्‍द्र, पुन: सुरपति कहलाए।।3।।

प्रकट हुए अच्‍युत, स्‍वरूप विराट दिखाया।
बलि को दी उपाधि, वह महा बली कहलाया।
कह 'अाकुल' कविराय, सुरासुर सभी मनाए।
यह ब्राह्मण अवतार, धर्म की राह बताए।।4।। 



14 सितंबर 2016

हिन्‍दी (दोहा ग़ज़ल)

हिन्‍दी भाषा की बने, ऐसी अब पहचान।
मेहनत से जैसे बने, कोई जब धनवान।

हिन्‍दी को भी गर्व से, अब बोलें हम आप।,
खुशी मिले ज्‍यों दोगुनी, मिलता जब सम्‍मान।

वाहन, घर,  महँगे वसन, मोबाइल का शौक,
हिन्‍दी का भी शौक अब, पालें सब इनसान।

ज्ञानी, संत समाज में, फैलाते सुविचार,
हिन्‍दी के उत्‍थान काा, छेड़े अब अभियान।

'आकुल' हिन्‍दी को मिले, ऐसी एक उड़ान,
मस्‍जि़द में हों कीर्तन, मन्दिर में अब अजान। 

5 सितंबर 2016

शिक्षक दिवस व गणेश चतुर्थी पर रचनायें



आज शिक्षक दिवस  और गणेश चतुर्थी है। श्री गणेश, गुरू  पर रचनायें-
प्रथम पूज्‍य श्री गणेश पर दो कुण्‍डलिया छंद-

इनका अनुपम रूप है, लम्‍बोदर गणनाथ।
श्रीगणेश बैठें सदा, ऋद्धि-सिद्धि के साथ।
ऋद्धि-सिद्धि के साथ, चतुर्भुज रूप लुभाए।
परिकम्‍मा कर मातु, जगत् में प्रथम कहाए।
कह 'आकुल' कविराय, भोग प्रिय मोदक इनका।
भादों सुद की चौथ, जनम दिन मनता इनका।।1।।

गणनायक गणनाथ तुम, शैलसुता के पूत।
विघ्‍न हरण तुम श्रेष्‍ठ हो, धन्‍य समर्थ अकूत।
धन्‍य समर्थ अकूत, कार्तिकेय बने षडानन।
नीलकंठ ने दिया, अनोखा रूप गजानन।
कह 'आकुल' कविराय, भूजूँ मैं प्रथम विनायक।
करूँ नमन गजवदन, मनाऊँ मैं गणनायक।।2।।

गुरु श्री पर कुछ दोहे- (ब्रजभाषा में)

अक्षर ज्ञान दिवाय कै, उँगली पकड़ चलाय।
गुरु ही पार लगाय या, केवट पार लगाया।। 1।।

गुरु से 'आकुल' जगत् में, दूर होयँ त्रय ताप।
आश्रय गुरु को जो रहै, दूर रहें संताप ।।2।।

दीक्षा, ज्ञान व धर्म गुरु, इनकौ नायँ न जोड़।
चलै संस्‍कृति इन्‍हीं सौं, इनकौ नायँ न तोड़।।3।।

मात-पिता-गुरु-राष्‍ट्र ऋण, कोउ न सकै उतार।
जीवन में इन चार की, चरण धूरि सिर धार।। 4।।

गुरु कौ सिर पै हाथ जो, भव सागर तर जाय।
श्रद्धा, निष्‍ठा,प्रेम, जस, धन, सरस्‍वती आय।। 5।।

ऊँचौ गुरु को थान है, कहवै यह इतिहास।
सुर-मुनि-देव-अदैव सब, करें नित्‍त अरदास।।6 ।।

शिक्षक दिवस पर रचना पढेें- 





4 सितंबर 2016

हँस कर जी मितरा तू

ग़ज़ल 
Image result for छोटी छोटी खुशियाँ
सुख में नहीं कभी इतरा तू।
दुख को नहीं कभी छितरा तू।
ये जीवन है आँँख-मिचौली,
इसको हँस कर जी मितरा तू।

मग़रिबज़दा  जमाना याराँँ,
थोड़ा इनसे भी कतरा तू।

सरज़मीन  का ग़र हामी  है,
तब ना बिलकुल भी घबरा तू।

मौसम तो बदला करते हैं,
Image result for छोटी छोटी खुशियाँइनसे नहीं कभी टकरा तू।

बस छोटी-छोटी खुशियों को,
जोड़ सदा क़तरा-क़तरा तू।

ग़म हलका करती हैं बातें,
अपनों से मिल-जुल बतरा तू।

याद करेंगे बाद जहाँँ सब,
दे हो जितना भी फितरा  तू ।

अमृत-विष है जीवन 'आकुुल'
इस को हँस कर पी मितरा तू।

मग़रिबज़दा- पश्चिमी सभ्‍यता का अनुसरण करने वाला
सरज़मीन- मुल्‍क, मातृभूमि, हामी- समर्थक, फितरा- दान.