4 अक्तूबर 2016

मुक्‍तक

कठोर
******
(
मात्रा भार- 30, समांत- अते, पदांत- हैं)
122 122 222 222 222 2
नहीं हौसले बढ़ते, जो साहस से पीछे हटते हैं। 
नहीं फैसले कर पाते, जो संघर्षों से डरते हैं। 
रिश्‍ते दिल कठोर ना हो, ना निभते हैं ना हैं पलते, 
नहीं फासले मिट पाते, जो ज़हर दिलों में भरते हैं।
कोमल
*******
(
मात्रा भार- 28, समांत-अर्ष, पदांत- नहीं करना है )
222 222 222 222 22
कोमल दिल वालों को यदि, संघर्ष नहीं करना है। 
पानीफल, नारियल बनो, पर हर्ष नहीं करना है। 
मन कोमल कछुए सा रखना, उम्र बहुत जीओगे, 
मृत्यु कबूतर सी स्वीकार, सहर्ष नहीं करना है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें