23 जनवरी 2017

देख सको तो देखो

(गीतिका)
छंद- ‘सार’ 
मात्रिक भार - 16-12
पदांत- देख सको तो देखो
समांत- अत
रुके हुए पानी की हालत, देख सको तो देखो.
बेघर बेचारों की आफत, देख सको तो देखो.
जिनके सिर पर हाथ नहीं है, उन अनाथ की आँखें,
भूख-प्यास की बेदम राहत, देख सको तो देखो.
नारी की अस्मिता बचेगी, कैसे जब दुर्जन में,
तन की भूख बनेगी हाजत, देख सको तो देखो.
नारी कैसे चंडी-दुर्गा, बन कर संहारेगी,
घर बच्चे होंगे तब आहत, देख सको तो देखो.
इक दिन अबला छोड़ मोह घर-बार बाल-बच्चों का,
’आकुल’ बने बला की ताकत, देख सको तो देखो.

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