6 अप्रैल 2017

भोजन

दोहा छंद गीतिका
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पदांत- .......आद (याद, प्रसाद, विवाद आदि).
समांत- xxx
मापनी- 33232 // 443.

भोजन से पहले सदा, प्रभु को करिए याद.
जीवन में मिलता नहीं, इससे बड़ा प्रसाद.
दाल-भात दलिया मिले, चाहे छप्पन भोग,
ग्रहण प्रेम से कीजिए, देखें कभी न स्वाद.
साथ बैठ परिवार के, ग्रहण करें रख प्रीति,
नहीं निरर्थक कीजिए, भोजन बीच विवाद.
कण कण में भगवान हैं , कण कण करें न व्यर्थ,
कण कण भोजन के लिए, हों कृतज्ञ प्रभुपाद.
निर्धन की बस चाहना, भूखा कभी न सोय,
भोजन वसन निवास ही, ‘आकुल’ है जनवाद.

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