20 जुलाई 2017

जिंदगी को न हार जाना है (गीतिका)




छंद- रारायगा छंद
मापनी- 2122  1212  22
पदांत- है
समांत- आना

कुछ न बोलो, यही जमाना है.
बढ़ के’ आफत, गले लगाना है.

धैर्य जब से, है’ आदमी भूला,
भूल होगी, उसे सिखाना है.

सब दिखावे, के’ रह गये रिश्‍ते,
सोच कर ही, उन्‍हें निभाना है.   

उम्र ने हैं, कई मिसालें दी,
अब किसी को, न आजमाना है.  

जन्‍म पाया, है’ हाल हर ‘आकुल’
जिंदगी को, न हार जाना है.


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