31 जुलाई 2017

कभी नहिं भूलें (गीतिका)



छंद- राधिका (सम मात्रिक) वाचिक       
मात्रा भार- 13, 9 
विधान- आरंभ गुरु, अंत दो गुरुओं से एवं यति से पहले व बाद में त्रिकल
            आवश्‍यक (12/21/111) (वाचिक) 
पदांत- कभी नहिं भूलें 
समांत- आर

उपकार किसी का यार, कभी नहिं भूलें.
उपहार, प्‍यार, सत्‍कार, कभी नहिं भूलें

जीवन में अनुशासन का’, है महत्‍व बहुत,
आचार विचार विहार,  कभी नहिं भूलें.

शिक्षा, दीक्षा, गुरु, जनक, जननी संस्‍कार,
व्‍यवहार और आभार, कभी नहिं भूलें.

ऋण उत्‍तरदायित्‍व है, कर्तव्‍य समझ कर,
दुनियादारी में’ उधार, कभी नहिं भूलें

जीवन ये आदर्श जब, बने ‘आकुल’ तब,
अनुकरण करे संसार, कभी नहीं भूलें.

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