1 अगस्त 2017

कहीं तो खुदा से इशारा मिला है (गीतिका )





छंद- महा भुजंग प्रयात (सम मात्रिक)
मापनी- 122 122 122 122,122 122 122 122
पदांत- मिला है
समांत- आरा

चला है जोजीवन मेंनेकी केपथ पर, हमेशा उसी को सहारा मिला है.
पला है जोजीवन मेंतूफाँ मेंरह कर, हमेशा उसी को किनारा मिला है.

नहीं शर्म जिसमें नहीं गर गिला है, वोअभिमान में ही जिया है अकेला,
मिला है जोहरदम बदी की डगर पर, हमेशा मुसीबत कामारा मिला है.

परिंदों केजलवे कहाँ देखेउसने, कहाँ हैं भरी ऊँचीउसने उड़ानें,
उड़ाया हैजीवन धुआँ बन केजिसने, हमेशा फजीहत काहारा मिला है.

नहीं सरजमीं का जोअहसानमँद है, वोखुशियों सेरीता रहा है जमीं पर,
नहीं मौत उसको सुकूँ से मिली है, न ही तन कोपावन अँगारा मिला है.
 

जोजितना चलोगे मिलेगी सफलता, सफलता काकोई नहीं है पै'माना, 
मुहब्बत हैजिसकी भीकिस्मत में आकुल’, कहीं तो खुदा से इशारा मिला है


 

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