30 सितंबर 2017

रामचरित दोहामुक्‍तावली


1
राम लला के जन्‍म से, धन्‍य हुआ भू लोक.
चार सुतों के जन्‍म से,  दशरथ बने अशोक.
क्‍या ऋषि-मुनि, क्‍या नागरिक,देवलोक भी धन्‍य,
अवतारी के जन्‍म से, फैला है आलोक.
2
त्रस्‍त हुए सामान्‍य जन, पहुँचे जनक समीप.
खत्‍म हुआ अब धान्‍य धन, हरो पीर आधीप.
कृपा हुई तब भूप पर, कर पूजन हल भूमि,
माया बन प्रकटी सिया, जले घरों में दीप.
3
सीता के स्‍पर्श से, हिला धनुष शिव जान.
जनक भये विस्मित तभी, करके मन में ध्‍यान.
वरण करेगा सिय वही, तोड़े धनुष पिनाक,
महा अलौकिक है सिया, किया जनक ऐलान.
4
एकत्रित दिग्‍गज सभी, भू मंडल के भूप.
रावण, बलि, श्रीराम मय, पहुँचे सभी अनूप.
रावण की गर्जन सुनी, बलि से हुआ प्रलाप
छोड़ सभा रावण गया, छँटी अनल सी धूप.
5
भूप सभी लज्जित हुए, जमा सके नहीं धाक.
कुछ तो ऐसे भी रहे, हिला न सके पिनाक.
जनक हुए चिंतित किया, करने लगे विलाप,
वीरों से वंचित हुई, भूमि हे स्‍वामि पिनाक.
6
राम उठे आशीष ले, किया चरण स्‍पर्श.        
गुरु वंदन कर चल दिये, धनुष समीप सहर्ष.
दे अपना परिचय किया, वंदन शिव धनु देख,
उठा धनुष कर भंग फिर, देखा सिय का हर्ष.
7
कुछ दिन आयोजन चला, विदा हुए सब भूप.
सभी चकित थे देख कर, वर्ण अलौकिक रूप.
ले वधुओं, बारात सँग, लौटे अवध नरेश,
पुष्‍प वृष्टि से हो रहा, पथ अवरूद्ध अनूप.  
8
दशकंधर के राज में, असुरों का उत्‍पात
हर गुरुकुल में थे बने, आतंकित हालात
रामलला पहुँचे हुआ, हर्ष अपार असीम,
प्रवृत्तियाँ फिर राक्षसी, बढ़ी नहीं दिन-रात.
 9
रावण कुल का नाश जब, हुआ जहाँ आरंभ.
देख विकल लंकाधिपति, आहत होता दंभ.
शूर्पनखा विद्रूप मुख, मृतमरीच को देख,
दशकंधर ने सिय हरी, नाश हुआ प्रारंभ.
 10
समरांगण में हत हुआ, दशकंधर सा वीर.
राज विभीषण सौंप कर, पहुँचे अवध अधीर.
राम-सिया अरु हों लखन, अंजनिसुत जब संग,
रामराज्‍य में शांति की, बहे सुगंध समीर.

29 सितंबर 2017

तुम्‍हें मातु दुर्गे, नमन कर रहा हूँ (गीतिका)

छंद- वाचिक भुजंग प्रयात
मापनी- 122 122 122 122
पदांत- कर रहा हूँ
समांत- अन
( लय - न ये चाँद होगा न तारे रहेंगे.)


अभी लौ लगा के, मनन कर रहा हूँ.
कहीं मन न भटके, भजन कर रहा हूँ.

न चिंतन, न मंथन, कभी कर सका मैं,
अभी तक कलुष को, वहन कर रहा हूँ.

सदा ही विवश था, कि कमजोर था मैं,
सहन ही किया है, सहन कर रहा हूँ.

बनाओ समर्थी, लड़ूँ मैं बदी से
समय की तरह मैं, गमन कर रहा हूँ.

मुझे ही पड़ी है, कहाँ इस प्रकृति की
करो माँ कृपा अब, हवन कर रहा हूँ.

मुझे है बनाया, बहुत बुद्धि दी पर,
हवाओं से उजड़ा, चमन कर रहा हूँ.

चलूँ मैं सुपथ राह ऐसी दिखाओ,
तुम्हेंं मातु दुर्गे, नमन कर रहा हूँ.

28 सितंबर 2017

महागौरी (गीतिका)

करो ध्यान महागौरी का वरदायिनी है.
संभव करती असंभव को सुखदायिनी है.

समस्त वस्त्राभूषणों से श्‍वेतांबरधरा,
आदिशक्ति सद्य: अमोघ फलदायिनी है.

कर कठोरव्रत वरण किया जिसने शिव को
यही पार्वती यही सुख समृद्धिदायिनी है.

अभय हस्त-मुद्रा, डमरू, माँ त्रिशूल धारे,
वृषभ वाहिनी व चारभुजा शोभायिनी है.

शांति स्वरूपा माँ दुर्गा की आठवीं शक्ति,
कृपा करे माँ शीघ्र ही सिद्धि प्रदायिनी है

27 सितंबर 2017

नारी अबला का चोला अब त्‍यागे (गीतिका)



नारी अबला का चोला अब त्‍यागे.
असुरों का संहार करे बढ़ आगे.

काली ने ज्‍यों संहारा असुरों को,
पाप बढ़ेगा नारी जो नहिं जागे.

बढ़ी क्रूरता, अत्‍याचार बढ़ा है,
अस्‍त्र उठे सीमाएँ जो छल्‍लाँगे.

जोधा का था त्‍याग कि हिंदुत्‍व बचा,
स्‍वामिभक्त्‍िा में पन्‍ना सी वह लागे.  

नहिं विकल्‍प हो अब जौहर नारी का,
दुश्‍मन को जब रणचंडी बन दागे.

देवों, वीरों ने सीमा की रक्षा की,
आदि शक्ति से घर के दुश्‍मन भागे.

नारी तुमको बनना है नवदुर्गा,
नहीं बाँधना अब मन्‍नत के धागे.    

24 सितंबर 2017

क्‍या है जिंदगी निरी (गीतिका)



छंद समानिका (21 21 21 2)

क्या है जिंदगी निरी.
ज्‍यों कपर्दिका गिरी.

दाँव कैसा भी पड़े,
दुश्‍मनों से हो घिरी.

मुश्किलों से जूझती
अंदरूनी’ बाहिरी.

देख कर लगे नहीं
है ग़ज़ल कि शाइरी

गीतिका सी’ जी निपट
जिंदगी तू’ लाहिरी.

23 सितंबर 2017

जिंदगी उदास क्‍यों (गीतिका)



छंद- समानिका
*************
मापनी- 21 21 21 2
पदांत- क्‍यों
समांत- आस

द्वेष आस-पास, क्यों.
क्रोध का प्रवास, क्यों.

प्रेम से रहो अगर,
जिंदगी उदास, क्यों.

रूप-रंग चार दिन
भूमिका हो दास, क्यों.

हास-वाग्विलास हो,
व्यंग्य औ प्रहास, क्यों.

जिंदगी आभास की,
जो न आय रास, क्यों.

21 सितंबर 2017

सजे माँ का दरबार (गीतिका)

छंद-शक्ति
मापनी- 122 122 122 12
पदांत- भी
समांत- आत

सजे माँ का दरबार नवरात भी.
चढ़े माँ का' चोला व बारात भी.

करें आरती रोज हो जागरण,
सजे फूल माला जवा(ह)रात भी.

मनायें सभी माँ को' परिवार सँग,
करायें भँडारे दें' सौगात भी.

दशैरा दिवाली मनाएँ पुन:,
दहन हो दशानन कोदें मात भी.

करें फिर सेस्वागत नये साल का,
नई जिंदगी की होशुरुआत भी.