23 सितंबर 2017

जिंदगी उदास क्‍यों (गीतिका)



छंद- समानिका
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मापनी- 21 21 21 2
पदांत- क्‍यों
समांत- आस

द्वेष आस-पास, क्यों.
क्रोध का प्रवास, क्यों.

प्रेम से रहो अगर,
जिंदगी उदास, क्यों.

रूप-रंग चार दिन
भूमिका हो दास, क्यों.

हास-वाग्विलास हो,
व्यंग्य औ प्रहास, क्यों.

जिंदगी आभास की,
जो न आय रास, क्यों.

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