24 जुलाई 2018

बादलों का नभ पे छाना (गीतिका)

छंद- मनोरम
मापनी - 2122 2122

(अपदांत गीतिका)

बादलों का नभ पेछाना.
दामिनी का कड़कड़ाना.

दे गई संदेश बारिश,
आ गया मौसम सुहाना.

नृत्य केकी का सुहाए,
और कोयल का भीगाना.

मन भी' चाहे बालकों सी,
मस्तियाँ करते नहाना.

लोकगायन, नृत्‍य, झूले,
उत्‍स घर घर में मनाना.

है यही संस्कृति हमारी,
गीत स्वागत में सुनाना

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