10 अगस्त 2018

हिंदी आभूषण है (गीतिका)

छंद- गगनांगना
विधान- 16, 9 पर यति, अंत 212 से.
पदांत- करें
समांत- इत

हिंदी आभूषण है इसको,  अब शोभित करें
हिंदी वर्णमाल से कृतियाँ, अब पोषित करें. 

हम कृतार्थ हों जाएँ यदि, सिर पर हाथ हो  
मधुर राष्‍ट्रवाणी से सब को, संबोधित करें.  

बस मन-वचन-कर्म से इसको, अपनायें सभी,
अभिव्‍यक्ति की है स्‍वतंत्रता, न तिरोहित करें.

अब हिंदी का ध्‍वज विराट, फहराये सदा,
गंगा जल से प्रक्षालन कर, अभिमंत्रित करें.

अवसर है, इक जुट हो कर, हिन्‍दी घोष हो,
राष्‍ट्रवाणी बने, संविधान, संशोधित करें.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें