25 अक्तूबर 2018

शरद चाँदनी अमृत घट भर लाएगी (गीतिका)


छंद- कुंडल
विधान- 22 मात्रा, 8,8,6 पर यति अंत 2 गुरु.
समांत- आएगी

शरद चाँदनी, अमृत घट भर, लाएगी.
ऋतु सर्दी की, धरती पर अब, छाएगी.

स्वागत है यह, शरदोत्सव नव, ऋतु ही का,
शिशिर यामिनी, सबको अब मन, भाएगी.

नख से शिख तक, गर्म वसन हो, खाना भी,
गरम हो' खाने, की लत अब लग, जाएगी.

नया साल ले, कर फिर बसंत, आएगा,
शिशिरांत संग, होली भी फिर, आएगी.

प्यार पलेगा, रात चौगुना, दिन दूना,
उत्सव संस्कृति, गीत प्रीत के, गाएगी.

18 अक्तूबर 2018

जीवन है तो है संघर्ष (गीतिका)


छंद- चौपई
पदांत- -
समांत- अर्ष

जीवन है तो, है संघर्ष.
सुख-दुख आते, ज्‍यों अधिवर्ष.  

आँधी तूफाँ, झेले बाढ़,
आती ऋतु फिर, भी प्रतिवर्ष.

काँटों को क्‍यों, समझे बोझ,
खिलते फूल गुलाब सहर्ष.

अटल है मृत्‍यु न हो भयभीत   
क्‍यों हो खुश या करे विमर्ष.

होती हार कभी या जीत
कर स्‍वीकार यही निष्‍कर्ष.

जीवन है चलने का नाम,
रुकते ही तय है अपकर्ष.

‘आकुल’ बनना तू कर्मण्‍य,
वर्ना जीवन है दुर्द्धर्ष.   

17 अक्तूबर 2018

देवी के अनगिनत रूप हैं (गीतिका)

छंद- माधवी मरहट्ठा
शिल्प विधान - चौपाई +दोहा छंद का विषम चरण, 16,13 = 29 मात्रा
पदांत- जानिए
समांत- आनी


देवी के अनगिनत रूप हैं, मातृभवानी जानिए.
कहीं अर्द्धनारीश्वर में है, शिवा शिवानी जानिए.

चामुण्डा, माँ अम्बे काली, है विन्ध्‍याचलवासिनी,
महामाया है, कालरात्रि है, यही सयानी जानिए.

दस महाविद्यायें धारी तब, जग को दान दिया अभय,
रागद्वेष, आसक्ति मिटायी, यही निशानी जानिए.

मधु-कैटभ, महिषासुर निशुम्भ, शुम्‍भ असुर मारे सभी,
शक्तिरूप धारा संहारा, थे अज्ञानी जानिए.

दंभ दूर करने देवों का, अग्निदेव आह्वान कर,
तेजपुंज में आई दुर्गा, थे अभिमानी जानिए.

अभय प्रदाता, जगत् कल्याणी, है नवदुर्गा मातु श्री,
जैसे वन की है रक्षक माँ, अरण्य रानी जानिए.

सप्त मातृकायें दस विद्या, नौ दुर्गा नवरात्रि में,
क्षमाशील बन पूज सकें वह, रीत निभानी जानिए.