1 अक्तूबर 2018

मत्‍तगयंद सवैया पर दो रचनायें (छंद/मुक्‍तक)


छंद- मत्‍तगयंद सवैया
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Related image1. सवैया छंद
पक्ष कनागत का फिर आज हुआ शुरु याद करें पितरों को.
मात पिता जिनके नहिं भू पर और सभी गुजरे बिसरों को.
लें सब आशिष और दुआ जब तर्पण दें सबरे बिछरों को.
याद करें उनको जिनका सँग साथ नहीं जिगरी मितरों को.

2. सवैया मुक्‍तक
रोष दिखा इस बार निसर्ग प्रचंड प्रभंजन छोड़ रहे हैं
चौपट गाँव हुए शहरों पर कोप फटा घर फोड़ रहे हैं.
बरखा ने इस बार मचाई वर्षा ऋतु में घोर तबाही,
सागर भी अब धीरज खो विकराल हुए तट तोड़ रहे हैं.

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