17 अक्तूबर 2018

देवी के अनगिनत रूप हैं (गीतिका)

छंद- माधवी मरहट्ठा
शिल्प विधान - चौपाई +दोहा छंद का विषम चरण, 16,13 = 29 मात्रा
पदांत- जानिए
समांत- आनी


देवी के अनगिनत रूप हैं, मातृभवानी जानिए.
कहीं अर्द्धनारीश्वर में है, शिवा शिवानी जानिए.

चामुण्डा, माँ अम्बे काली, है विन्ध्‍याचलवासिनी,
महामाया है, कालरात्रि है, यही सयानी जानिए.

दस महाविद्यायें धारी तब, जग को दान दिया अभय,
रागद्वेष, आसक्ति मिटायी, यही निशानी जानिए.

मधु-कैटभ, महिषासुर निशुम्भ, शुम्‍भ असुर मारे सभी,
शक्तिरूप धारा संहारा, थे अज्ञानी जानिए.

दंभ दूर करने देवों का, अग्निदेव आह्वान कर,
तेजपुंज में आई दुर्गा, थे अभिमानी जानिए.

अभय प्रदाता, जगत् कल्याणी, है नवदुर्गा मातु श्री,
जैसे वन की है रक्षक माँ, अरण्य रानी जानिए.

सप्त मातृकायें दस विद्या, नौ दुर्गा नवरात्रि में,
क्षमाशील बन पूज सकें वह, रीत निभानी जानिए.

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