14 जनवरी 2019

उठो चलो बढ़े चलो (गीतिका)

छंद- द्विगुणित प्रमाणिका (वार्णिक)
मापनी- 12 12 12 12, 12 12 12 12
पदांत- दे चलो 
समांत- आर

उठो चलो बढ़े चलो, नये विचार दे चलो.
सभी जुटो विकास को, नवीन धार दे चलो.

सँभालिए वसुंधरा, हरी भरी रहे सदा,
न आ सके खिजाँ यहाँ सदा बहार दे चलो

न पीढ़ि‍याँ असभ्‍य हों, व हो नगण्‍य रूढ़ि‍याँ,
स्‍वदेश के लिए अगण्‍य जाँ निसार दे चलो.

न कर्मनिष्‍ठ भ्रष्‍ट हों न एकनिष्‍ठ रुष्‍ट हों
सभी को दंड-संहिता का एतबार दे चलो.

जहाँ सभी जरूरतों की चीज छूट से मिले,
समीप बस्तियाँ बसीं वहाँ बजार दे चलो

प्रभू करे न शत्रु सामने न युद्ध थोप दे, 
मशाल और गीत क्रांति के हजार दे चलो.

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