17 जनवरी 2019

शांति से रहो सखे (गीतिका)


छंद- समानिका (वार्णिक)
मापनी- 21 21 21 2
पदांत- सखे
समांत- ओ

शांति  से रहो सखे,
धैर्य से जियो सखे.
 
तर्क से, विवाद से
द्वंद्व से बचो सखे.

बात को खरी खरी,
क्‍यों कभी कहो सखे.

दौड़ भाग कम करो
भीड़ से टलो सखे.

प्रातराश में सदैव
नित्‍य सेब लो सखे,

बाद एक उम्र के,
मोह को तजो सखे.

मित्रता सदैव ही
कामयाब हो सखे

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