19 जनवरी 2019

ध्‍यान हो निसर्ग का (गीतिका)

छंद- समानिका (वार्णिक)
मापनी- 21 21 21 2
पदांत- का
समांत- अर्ग

ध्‍यान हो निसर्ग का.
नर्क का न स्‍वर्ग का.

पंक में नहीं खिलें,
रूप है सदबर्ग का 

है महत्‍व पाठ का,
कांड का न सर्ग का.

रोजगार जो मिले,
वाद हो न वर्ग का.

शब्‍द शुद्ध ही लिखें,
ज्ञान हो प्रवर्ग का.

बिंदु चंद्रबिंदु हो
संधि या विसर्ग का.

लोग न्‍यून जानते
मर्म मौन मर्ग का.

मर्ग- मृत्‍यु

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें