19 सितंबर 2022

आज है समय कि संग में रहें

 गीतिका

आधार छंद- वाचिक श्येनिका
मापनी- 21 21 21 21 21 2
पदांत- में रहें
समांत- अंग
आज है समय कि संग में रहें।
ताकि हर समय उमंग में रहें।1।
सुक्ख दु:ख भी सहें समेट कर,
साथ-साथ हर प्रसंग में रहें।2।
हो जुगत कि अब गरीब भी नहीं,
जिंदगी तमाम तंग मे रहें।3।
कब अमीर भी सुखी रहें बहुत,
हाँ, नसीब से तरंग में रहें ।4।
जो जरूरती उसी को थाम कर
चल पड़ें किसी भी ढंग में रहें।5।
याद अब करें न बीत जो गया,
वक्त क्यों बने कि जंग में रहें।6।
है बुला रही सुबह तुम्हें नई,
हौसले अनंत अंग में रहें।7।

12 सितंबर 2022

इसीलिए पक्षी अब आस पास में कम दिखते हैं

 (बाल कविता)

पक्षियों के बारे में
==========

आओ बच्चो सुनो बताएँ
पक्षियों के बारे में ।
कई अनोखे पक्षी हैं
कुछ कुछ उनके बारे में ।1।
कौआ कोयल शत्रु
बुद्धि से कोयल उसे हराए ।
कोकिल गाये मधुर
बेसुरा कौआ ही कहलाए ।2।
कौआ लंबी उम्र जिये
कोयल ना करे घोंसला ।
कौए के घर देती बच्चे
कितना बड़ा हौसला ।3।
चींटी के पर आते
पक्षी नहीं मगर उड़ती है ।
चमगादड़ स्तनधारी
ना पक्षी पर उड़ती है ।4।

उड़ने वाला पक्षी
सबसे ऊँचा चील उड़े ।
उल्लू की गर्दन घूमे
चहुँ ओर बिना मुड़े ।5।
लंबी भरे उड़ान कबूतर
वह कपोत कहलाता ।
कंकर खा लेता भूखा
शाकाहारी कहलाता ।6।
उड़न गिलहरी भी होती
पर जंगल में रहती है ।
एक पेड़ से दूजे पर
जाने को वह उड़ती है ।7।
पक्षी वे जिनके पर होते
नभचर हैं कहलाते ।
कीट पतंगों के पर हैं
पर पक्षी ना कहलाते ।8।
कान न होते हैं पक्षी के
ना वे दूध पिलाते ।
चोंच ऊपर छेदों से वे
सुनते हैं जान बचाते ।9।
पक्षी अंडे देते सेते
उन पर बैठ जनाते ।
पर आते उड़ जाते अपनी
दुनिया अलग बसाते ।10।
परी कथाओं में सुनते हैं
परियाँ भी उड़ती हैं ।
बातें करती सपनों में
बच्‍चों से खुश रहती हैं ।11।
परी इसीलिए कहलातीं
होते हैं उनके भी पर ।
परीलोक से आती हैं
उड़ कर ही वे धरती पर ।12।
उड़ती तो पतंग भी है पर
वह निर्जीव चीज है ।
मानव जीव न उड़ पाता है
उसकी यही खीज है ।13।
शायद इसीलिए करता
पिंजरे में पक्षी कैद ।
पर तुम उनको मत करना
मैं आज बताता भेद ।14।
कैद पक्षियों के पिंजरे में
पर मर जाते इक दिन ।
चाहे फिर आजाद करो
ना उड़ पाते वे पर बिन ।15।
डरते हैं वे मानव से
वे उन्हें कैद करते हैं ।
इसीलिए पक्षी अब
आसपास में कम दिखते हैं ।16।

11 सितंबर 2022

दिल वालों की है दिल्‍ली

 गीतिका

छंद विधाता
मापनी- 1222 1222 1222 1222,
समान्त -आना,
पदान्त- तुम

कभी दिल्ली रुको तो बिन इसे देखे न जाना तुम।
पुरानी अब नहीं यह आज देखो फिर बताना तुम ।1।

यहाँ चारों तरफ हैं वन हरित उपवन हजारों में,
प्रदूषण मुक्त दिल्ली हो कहीं पौधा लगाना तुम।2।

यहाँ उपलब्ध हैं उत्कृष्ट पथ, बस, रेल सेवायें,
उबर, ओला व ई-रिक्शे कहीं भी हो बुलाना तुम।3।

यहाँ कर्तव्य पथघूमे बिना जाना नहीं राही,
स्वत: ही गर्व होगा दिल में दिल्ली को बसाना तुम।4।

लगी कैसी यहाँ की हर जगह हर पथ यहाँ तुमको,
न ऐसा हो बिना इससे मिले घर लौट आना तुम।5।

किसी की बात मे आए बिना घूमो फिरो दिल्ली,
अगर कोई कमी हे तो सुझावों को सुझाना तुम।6।

हृदय पर हाथ रख आकुलकि दिल वालों की है दिल्ली,
कभी देखो अतिथि सत्कार बस इसको सुहाना तुम ।7।

6 सितंबर 2022

रख ध्‍वज ऊँचा महिमा है गानी

गीतिका

छंद- सूचीमुखी (वार्णिक)
मापनी- 112 222
पदांत- 0
संमात- आनी 
 
हम हिंदुस्‍तानी ।
दुनिया भी मानी ।
 
घर घाती लाँघे,
हद हो मैदानी ।
 
सिर से कैसे भी,
गुजरे ना पानी ।
 
जब भी धोखे से,
नजरें हैं तानी ।
 
हर मोके पे दी,
हमने कुर्बानी ।
 
रख ध्‍वज ऊँचा,
महिमा है गानी ।
 
मरना जीना है,  
इस पे है ठानी ।

सिंहावलोकन मुक्‍तक

1
शान बढ़े संतान से, करते जब वे नाम, 
नाम डुबोते हैं कई, कर के बिगड़े काम, 
काम धाम और नाम ही, पुजते हैं हर वक्‍त, 
वक्‍त रहे सँभलें वही,  होते हैं अभिराम।  
2
चाल समय की समझिए देता दुख-सुख साथ, 
साथ समय के जो चला, होता तंग न हाथ, 
हाथ नहीं आता समय, दे कर जाता सीख, 
सीख उसी को दीजिए. रखता जो सिर माथ।  
3 
प्रकृति बनी इनसान की, नित बोले सच झूठ, 
झूठ बहाने बनें जब,  बच्‍चा जाता रूठ, 
रूठ गई किस्‍मत कभी, ले कर के भी कर्ज, 
कर्ज मर्ज में आज भी, तंत्र मंत्र अरु मूठ।     
4 
काम सदा जो कल पर छोड़े, वह पछताता  
पछताता वह भी जो बैठे, समय गँवाता 
समय गँवाता नहीं चले वह, चाहे धीरे, 
धीरे चले रखे धीरज वह, मंजिल पाता ।

5 सितंबर 2022

जो शिक्षित करता हम उसको शिक्षक कह सकते हैं

 (गीत)
शिक्षक
=====

जो शिक्षित करता हम उसको शिक्षक कह सकते हैं.
जो दीक्षित करता हम उसको शिक्षक कह सकते हैं.
जो शिक्षित करता............

दे कर अक्षरज्ञान चढ़ाए, शिक्षा के सोपान.
अनुशासन, जीवन संस्‍कृति का, देता जो संज्ञान.
धर्म, कर्म, सौहार्द, प्रेम का देता है जो ज्ञान.
दे शिक्षा सेवार्थ कराता है, हमको प्रस्‍थान.
परिमार्जित करता हम उसको, शिक्षक कह सकते हैं.
जो शिक्षित करता.............

दिशा दिखाए, दे दृष्टान्त, आगाह करे, अपनाए.
शिक्षा के सँग स्वास्थ्‍य, खेल का भी महत्व समझाए.
करे संस्कारित, शिक्षा का जीवन मूल्य बताए.
विश्वास, आस्था, श्रद्धा, अनुशासन का पाठ पढ़ाए.
प्रतिरक्षित करता हम उसको शिक्षक कह सकते हैं.
जो शिक्षित करता...........

युगो-युगों से चली आ रही हैं जो परम्‍पराएँ.
प्रलय प्रभंजन से ले कर, अवतारों की गाथाएँ.
लिख जाए परिवर्तन को, आधारभूत रचनाएँ.
जो शिक्षा को वर्तमान परिप्रेक्ष्‍य में भी समझाएँ.

परिवर्धित करता हम उसको, शिक्षक कह सकते हैं.
जो शिक्षित करता..............


सौर जगत् का शिरोधार्य, पारसमणि है जो दिनकर.
जीव जगत् का अहोभाग्‍य, मानवमणि है इस भू पर.
गुरु गोविन्‍द से भी भारी है, गुरु चरणों को छू कर.
श्रीगणेश करते, महा अष्‍टविनायक का पूजन कर.

अभिमंत्रित करता हम उसको, शिक्षक कह सकते हैं.
जो शिक्षित करता...............

गुरु की महिमा अपरम्‍पार, बखानी है ग्रन्‍थों ने.
सुर, मुनि, असुर, देव, दानव, ज्ञानी, समस्‍त पंथों ने.
क्‍या पुराण, क्‍या वेद शास्‍त्र के रचयिता सन्‍तों ने.
मठ, मन्दिर के, पीठों के आचार्यों ने पन्‍तों ने.

स्‍थापित करता हम उसको, शिक्षक कह सकते हैं.
जो शिक्षत करता...............

जो शिक्षित करता हम उसको शिक्षक कह सकते हैं.
जो दीक्षित करता हम उसको शिक्षक कह सकते हैं
.

शिक्षक कौन?

गीतिका-
छंद- चौपाई  

पदांत- बना, समांत- अर

शिखर चढ़ाए, प्रखर बनाए ।

जीवन को जो अमर बनाए ।

योग ध्‍यान व्‍यायाम ज्ञान से,

तन मन को जो बजर बनाए ।

शब्‍द ब्रह्म से, नाद ब्रह्म से, 
हर संभव हो निडर बनाए ।

करता संस्कारित,अनुशासित,

तपा निरंतर, असर बनाए ।

करे प्रशस्‍त सेवार्थ शिष्‍य को,

अपनी स्‍वर्णिम डगर बनाए ।