29 मई 2023

छंदबद्ध हर गीत बना सकते ज्ञानी

 गीतिका

छंद- मंगलवत्‍थु / मंगलमाया  

विधान- 22 मात्रा। दोहे के सम चरण की दो अवृत्तिा 11, 11

पर यति अंत 2 गुरु से

 

पदांत- 0

समांत- आनी

 

छंदबद्ध हर गीत, बना सकते ज्ञानी
दोनों हाथों खूब, दिया करते दानी

 

देशभक्ति की राह, गँवाते प्राणों को,
वे शहीद कहलायँ, सदा पढ़ते बानी ।

 

पीने भर को जहाँ, रोज जब पानी हो. 
वे ही समझें मूल्य, बचा रखते पानी ।

 

महँगाई का दौर, बंद रक्खो मुट्ठी,
बनो कूप मंडूक, बैल फिरते घानी ।

 

'आकुल' जीवन श्रेष्‍ठ, अगर चूल्हा साझा,
एकाकी रसपान, कहाँ रखते सानी ।

28 मई 2023

अंधविश्‍वास

छंद- प्‍लवंगम् 
विधान- प्रति चरण मात्रा २१ मात्रा, चरणारंभ गुरु, चरणांत गुरु लघु गुरु (रगण), यति ८-१३।

पदांत- है
समांत- आत  

अंधविश्वास, ऐसा पक्षाघात है।
ज्यों घर में ही, होता भीतरघात है।1

जीवन भर यह, देता हमको त्रास ही,
कालरात्रि है, जिसमें नहीं प्रभात है।2

और सयाना, करता फिर प्रतिघात है।3
निर्धनता नेहालातों ने घात की,

कोई भी अनुसरण करे वह ही लुटे,
एक जुआ है, जिसमें होती मात है ।4

उन्मूलन जन-जाग्रति से, इसका करें,
शिक्षा से ही, संभव मिले निजात है।5

27 मई 2023

बना मन, ऐसा इक संसार

गीतिका

छंद- शृंगार 

विधान- आदि त्रिकल(12/21)-द्विकल(11/2), अंत त्रिकल (21 अनिवार्य)

समांत- आर.

बना मन, ऐसा इक, संसार।
रहे बस सिर्फ प्यार ही प्यार।1।

हृदय में, हो दिन- रात उमंग,
बीत जाएँ, यूँ ही, दिन चार।2।

झूठ सेनर्क न, बनता स्वर्ग,
सत्य जीवन, का हो, आधार।3।

प्यार में हो न, छद्म, छल और,
कभी भी, कहीं नहीं व्यापार।4।

हो न, मतभेद और मनभेद,
भेदना, मन हो, कर मनुहार।5।

26 मई 2023

मित्र सदा जीवन में बस संग रहे

गीतिका

छंद- विशेषिका
विधान- प्रति चरण 20 मात्रा, चरणांत सगण (112)
पदांत- रहे, 
समांत- अंग

मित्र सदा जीवन में बस संग रहे।
तुला संग सदैव ज्‍यों पासंग रहे।

सँभलो करते जिह्वा को लप-लप जो,   
जहर सदैव उगलते सारंग रहे।  

मानव में दो रंग श्‍वेत-श्‍यामल ही,
शेष रंग सदा प्रकृति आसंग रहे।

है अभिशाप एक तंगी में रहना,
अकसर ही जीवन में भ्रूभंग रहे।

रह कर देखा एकाकी ‘आकुल’ ने,
करो बचत गुजर-बसर ना तंग रहे।

8 मई 2023

कुछ सोरठे

मूल छंद सोरठे
कैसा भी हो भेष, मौत ढूँढ़ती जिन्‍दगी।
ले जाती अवशेष, बोझ धरा पर जब बने ।
-0-
प्रभु को करिए याद, भोजन से पहने सदा।
इससे बड़ा प्रसाद, जीवन में मिलता नहीं।
-0-
अनपढ़ भट्टाचार्य, जीवन में मिलते कई।
गुनना भी अनिवार्य, पढ़ना ही काफ़ी नहीं।
--00--

उभय चरण तुकान्‍त सोरठे
जीवन मार्ग प्रशस्‍त, मात-पिता-गुरु ही करें ।
जीवन हो आश्‍वस्त, वरद हस्‍त जो ये धरें ।1।
-0-
खोता घर का चैन, रहे न घर में एकता ।
अकर्मण्य दिन रैन, दिवा स्‍वप्‍न ही देखता ।2।
-0-
वो पिछड़ा दिन-रात, समय संग चलता नहीं ।
बिना बिगाड़े बात, बाधक कब रहता कहीं ।3।
-0-
ना रहता पाबंद, अनुशासन रखता नहीं ।
हो न चाक-चौबंद, धोखा खाता है कहीं ।4।

2 मई 2023

छोटी-छोटी खुशियाँँ ढूँढ़ो

गीतिका

छंद- कुकुभ
पदांत- लाे
समांत- ई

छोटी-छोटी खुशियों ढूँढ़ों, जीवन मिल-जुल कर जी लो ।
जीवन घुट्टी प्रेम पियाला, जितना हो भर कर, पी लो ।1।

जिनसे करते प्रेम, कमी हो, उनमें तो, कर अनदेखा,
शायद तेरी संगत उनको, बदले यह अनुभव भी लो ।2।

अनुशासन भोजन में रखना, रहता स्‍वाद जीभ तक ही,
व्‍यर्थ जले या फैंका जाए, घी तो तड़का भर ही लो ।3। 

जब तक हो गुरु ज्ञान नहीं तो, हीरा भी पत्‍थर ही है,
शिखर मिले संगत से समझो, वो तो है पारस छी लो ।4। 

कह कर बुरा न बनना ‘आकुल’,  मार समय की मिलती है,
भरता घाव समय ही तुम तो, केवल उधड़ा व्रण सी लो ।5।

1 मई 2023

जीना होगा

 गीतिका

छंद- सारंगी (वार्णिक)

गणसूत्र - मगण मगण मगण मगण (222X4)
विधान- 12 वर्णीय वर्णवृत्त, जिसमें 8,4 पर यति। वार्णिक छंदों में गुरु को दो लघु एवं दो लघु को एक गुरु वर्ण में लिखना निषिद्ध है।
पदांत- जीना होगा
समांत- आई

जैसी पाई जैसे पाई, जीना होगा ।
चाहे रिश्ते हों सौदाई, जीना होगा ।1।

हालातों की मारी है ये, काया साँसें,
पाटें या ना पाटें खाई, जीना होगा ।2।

खोना-पाना लेखा-जोखा, कर्मों का है,
गीता से शिक्षा ये पाई, जीना होगा ।3।

जो ना हो पाता लक्ष्मी से, आसानी से,
मीठी बोली से हो भाई, जीना होगा ।4।

सोने के सोपानों से क्या, ऊँचे जाना,
काँधे पे जाना सच्चाई, जीना होगा।5।
-आकुल