24 नवंबर 2010

कोटा के जनवादी कवि रघुनाथ मिश्र को मिथलेश-रामेश्‍वर प्रतिभा सम्‍मान

कोटा 22 नवम्बर। अखिल भारतीय कायस्थ समाज की पत्रिका चित्रांश ज्योति द्वारा स्व0 मिथलेश श्रीवास्तव की स्मृति में दिया जाने वाला मिथलेश-रामेश्वर प्रतिभा सम्मान वर्ष 2010 के लिए कोटा के वरिष्ठ साहित्यकार, रंगकर्मी और जनवाद के पुरोधा जनकवि श्री रघुनाथ मिश्र का चयन किया गया है।
श्री मिश्र को दिल्ली की साहित्यिक पत्रिका ‘हम सब साथ साथ’ प्रायोजित चित्रांश ज्योति के तत्वावधान में एक भव्य समारोह में 28 नवम्बर, रविवार को झाँसी (उ0प्र0) में सम्मानित किया जायेगा। यह सम्मान केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री प्रदीप जैन ‘आदित्य’ द्वारा प्रदान किया जायेगा। समारोह में अखिल भारतीय कायस्थ समाज के मेधावी छात्र-छात्राओं का भी अभिनंदन किया जायेगा।
श्री रघुनाथ मिश्र की 1967 से अब तक सांस्कृतिक, साहित्यिक और राजनीतिक क्षेत्र में की गयी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए ये सम्मान दिया जा रहा है। ऊनकी 2008 में प्रकाशित पुस्तक ‘सोच ले तू किधर जा रहा है’ को भी चयन समिति द्वारा विशेष रूप से सराहा गया। उनकी रंगकर्म की अथक सांस्कृतिक यात्रा और जन-जन के किये जाने वाले संघर्ष में योगदान को भी ध्यान में रखा गया।
जलेस के पदाधिकारी जनकवि श्री गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ ने बताया कि श्री मिश्र प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) से बने जनवादी लेखक संघ (जलेस) के संस्थापक सदस्य रहे हैं। वर्तमान में जलेस की केंद्रीय परिषद् के सदस्य हैं। राजस्थान की जलेस राज्य इकाई में पदाधिकारी और कोटा जिला के जलेस जिलाध्य्क्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं।
कोटा जन नाट्य मंच के तत्वावधान में श्री मिश्र ने आरंभ से ही अनेकों नाटकों जैसे रूसी लेखक जेखोब के हिंदी रूपांतरित नाटक ‘गिरगिट’, कोटा के स्व0 शिवराम के नाटक ‘जनता पागल हो गयी’ एवं अन्य कई नाटकों ‘हल्‍लाबोल’, ‘हवलदार लोहासिंह’, ‘औरत’, ‘हिंसा परमोधर्म’ आदि में सैंकड़ोंबार अभिनय किया है और आज भी जनवाद की अथक यात्रा में वे सक्रिय हैं। वे साहित्यकार के साथ साथ कोटा में कर्मठ अधिवक्ता के रूप में भी जाने जाते हैं।
श्री मिश्र हाल ही में अपनी 10 दिवसीय सांस्कृतिक और साहित्यिक यात्रा से मेरठ और दिल्ली हो कर लौटे हैं। सम्मान के लिए ‘हम सब साथ साथ’ द्वारा दूरभाष से जानकारी प्राप्त‍ होते ही कोटा के जलेस सदस्यों में हर्ष की लहर दौड़ गयी। उन्होंने दूरभाष पर ही श्री मिश्र को बधाइयाँ दीं।
सम्मान प्राप्त कर लौटने पर श्री मिश्र को जलेस की बैठक में उनकी साहित्यिक यात्रा और सम्मान पर चर्चा की जायेगी। उनकी साहित्यिक यात्रा और सम्मान पर एक विशेष रिपोर्ट भी प्रकाशित की जायेगी।

4 टिप्‍पणियां:

  1. prastuti stutyapurna hai.RAGHUNATH MISHRA

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  2. Raghunath ji se milne ka sobhagya jhansi samaroh me mila. vaese to mai unhe pahle se hi padhta raha hoon pr jhansi me unke viraat vyaktitva ke darshan hue. bahu ayami prathibha ke dhani raghunath ji ko sammanit karne se hamare samman ki garima aur bhi badh gai hai. Aakul ji ke baare me jo kuch mishra ji ne bataya ya maene padha/jana vah bhi anmol anubhav raha.......

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