समीक्षाकार श्री विजय जोशी की संक्षिप्‍त विवेचना 4 पुस्‍तकों पर

 आज...(541)

सृजन और समय को सन्दर्भित करने में पुस्तकें अपना महत्व रखती हैं। इन्हीं सन्दर्भों की बानगी सामने आयी जब कल शुक्रवार 27 अक्टूबर 2023 को साँय सात बजे वरिष्ठ कवि-गीतकार गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' जी घर पर पधारे। बधाई के स्वरों के मध्य सामान्य बातचीत करते हुए गीत, नवगीत और छन्द के साथ-साथ वर्तमान में काव्य सृजन पर सार्थक चर्चा हुई।

चार पुस्‍तकों की विवेचना 

इस बीच गीतकार गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' जी ने अपनी चार पुस्तकें भेंट की-
1.स्वयं लेखक द्वारा सितम्बर 2023 में प्रकाशित 'बाल काव्य मंजूषा' में चालीस रचनाएँ हैं जिसमें तेवीस बाल कविताएँ और सत्रह बाल गीत सम्मिलित हैं। इन रचनाओं में बाल सुलभ जिज्ञासाओं, उनसे सन्दर्भित विषयों पर सार्थक, रोचक और दिशाबोधक जानकारियाँ उभारी गयी हैं। आरम्भ में एक आलेख " बाल काव्य बाल मनोविज्ञान का दर्शन है" में बाल अवस्थाओं और काव्य सृजन के साथ बाल रचनाकारों पर सार्थक विचार व्यक्त किए गये हैं। वहीं आत्मकथ्य के अन्तर्गत "समय से पहले परिपक्व होता बाल्यकाल" में यथा शीर्षक सटीक विवेचना प्रस्तुत कर पुस्तक की विषयवस्तु को उभारा गया है।
2. वर्ष 2023 में स्वयं लेखक द्वारा प्रकाशित 'गीत संजीवनी (छन्दबद्ध गीतों का संग्रह)' में पचास गीत हैं जो बत्तीस छन्दों में निबद्ध हैं। इन छन्दों का संक्षिप्त परिचय गीतकार ने गीतों के आरम्भ में दिया है।
"चेतना के लिए गीत संजीवनी बन जाते हैं" शीर्षक से लिखा गया आत्मकथ्य संग्रह के गीतों की व्याख्या करता है और समस्त गीत चेतना के स्वरों को गुँजायमान तो करते ही हैं साथ ही परिवर्तित होते जीवन मूल्यों में मानवीय संवेदनाओं से आत्मसात् होते रहने को प्रेरित करते हैं।
आरम्भ में "निराला है गीतों का संसार" आलेख गीत परम्परा और विकास के साथ उसकी दिशा को प्रभावी तरीके से विश्लेषित करता है। वहीं एक और अन्य आलेख "छन्द काव्य को सिद्ध करते हैं" में छन्द विधान की शास्त्रीय विवेचना की गई है।
3. वर्ष 2022 में स्वयं लेखक द्वारा प्रकाशित 'एक नई दस्तक देनी है (नवगीत संग्रह) में चालीस नवगीत हैं जिनमें वर्तमान समय के विविध प्रसंगों को उजागर किया गया है। वहीं सृजन के सरोकारों को उभार कर नई दस्तक कर पहल की है।
आरम्भ में नवगीत विमर्श और उसकी यात्रा के सन्दर्भ में '21 वीं सदी के प्रारम्भिक दो दशकों के नवगीतों में युगबोध' के प्रसंग में शोधकर्ता संजीव यादव द्वारा गीतकार गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' जी से प्रश्नोत्तरी रूप से विचार आमन्त्रित किये जिसे गीतकार गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' जी ने अपने आत्मकथ्य के रूप में- "कुछ यक्ष प्रश्न और मेरे विचार" शीर्षक से चालीस पृष्ठों में विस्तार से प्रस्तुत किया। यह अपनी तरह का अलग ही आत्मकथ्य है जो साक्षात्कार विधा में नवगीत के परिप्रेक्ष्य में रचनाकारों और पाठकों के लिए दिशाबोधक है।
4. वर्ष 2022 में स्वयं लेखक द्वारा ही प्रकाशित 'तन में जल की बावड़ी (कुंडलिया छन्द संग्रह) में दोहा छन्द, रोला छन्द, कुंडलिनी छन्द और कुंडलिया छन्द से विविध विषयों पर सार्थक रचनाएँ हैं जो पाठक को आनन्दित करती है तो रचनाकारों यथेष्ट ज्ञानार्जन कराती हैं।
आरम्भ में क्रमशः "छन्द और दोहा परिवार" तथा "कुंडलिया छन्द विधान" शीर्षक से दो आलेखों में शीर्षकनुरूप सारगर्भित और दिशाबोधक विश्लेषण और विवेचन करके विषय की गहनता को उभारा है और उसे सहज ग्राह्य बनाया है। वहीं इनके बाद लिखे 'आत्मकथ्य' में गीतकार ने संग्रह की विषयवस्तु की व्याख्या छन्द की बारीकियों को विवेचित करते हुए की है जो पाठकों को सरलता से जोड़ती है तथा विषय को उभारती है।
इससे पूर्व गीतकार गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' जी की ग्यारह कृतियाँ- (1) प्रतिज्ञा (महाभारतीय पृष्ठभूमि पर नाटक) : 1995 (2) पत्थरों का शहर (काव्य संग्रह): 2008 (3) जीवन की गूंज (काव्य संग्रह): 2010 (4) अब राम राज्य आएगा।। (लघुकथा संग्रह): 2013 (5) नवभारत का स्वप्न सजाएँ (गीत संग्रह): 2016 (6) जब से मन की नाव चली (नवगीत संग्रह): 2016 (7) चलो प्रेम का दूर क्षितिज तक पहुँचाएँ संदेश (गीतिका शतक): 2018 (😎 हौसलों ने दिए पंख (गीतिका द्विशतक): 2020 (9) कोरोना (Covid 19 ) लॉकडाउन में छंद आधारित काव्य रचनाए (गुटका): 2020 (10) कोरोना (Covid 19) (गुटका) (भाग-2): 2021 (11) कोरोना (Covid 19 कोविशील्ड) (गुटका) (भाग-3) 2021 प्रकाशित हैं। वहीं 21 साझा संकलन में रचनाएँ संकलित हैं। यही नहीं काव्य, दोहा, मुक्तक, बाल कविता, गीत, खंड काव्य सहित कुल 25 पुस्तकों का सम्पादन भी किया है।
18 जून,1955 को जन्में तथा राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा राजस्थान से वर्ष 2015 में अनुभाग अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त तथा साहित्य सृजन में संलग्न एवं संगीत के स्वरों को समर्पित गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' जी को साहित्य सृजन में कई उपाधि, सम्मान, पुरस्कार मिले हैं जिनमें - भारतीय भाषा रत्न, विद्योत्तमा सम्मान, अधिकृत उपाधि 'विद्या वाचस्पति', विद्यासागर साहित्य सम्मान, नीरज सम्मान प्रमुख हैं।
- विजय जोशी

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