11 दिसंबर 2016

10 दिसंबर 2016

भारत माता

(कुकुभ छंद) गीतिका 

गीतिका है इसलिए पदांत और समांत अनिवार्य हैंं. दो दो पद में तुकांत (विषम चरण में) का नियम है. अर्द्ध मात्रिक छंद 2222 2222 // 2222 222 (16-14)  अंत में दो लघु के बाद दो गुरु अनिवार्य, अंतरा विधा से मुक्‍त रखा जा सकता है. 

पदांत- धरती है भारत माता,  समांत- आनों की। 



रणबाँकों के बलिदानों की, धरती है भारत माता
आजादी के दीवानों की धरती है भारत माता.

गंगा-यमुना की संस्‍कृति से पोषित है भारत माता
ऋषि मुनियों की संतानों की धरती है भारत माता.

उत्‍ताल तरंगों से देता है जोश समंदर तीन तरफ,
हिमगिरि के सुदृढ सानों की धरती है भारत माता.

वेद पुराणों उपनिषदों और’ रामायण की गाथाओं,
अवतारों के अवदानों की धरती है भारत माता.

गाते हम स्वतंत्रता और’ गणतंत्र दिवस के अवसर पर
उन आजादी के गानों की धरती है भारत माता

राष्‍ट्रीय’ पर्वों त्‍योहारों पर गले मिलें मंदिर मस्जिद
सर्वधर्म के सम्‍मानों की धरती है भारत माता

‘आकुल’ निर्भय फहराये ध्‍वज, चैन अमन की पवन चले
देश प्रेम के दीवानें की धरती है भारत माता.

6 दिसंबर 2016

वतन फूले फले

रिगीतिका छंद पर आधारित गीतिका/गीत
मापनी 221   2221   2221   2221  2

जो पर्वतों की तरह रह कर, अटल सरहद पर चले
उनको डिगा सकता नहीं, तूफान हों या जलजले. 

रखते जिगर फौलाद का, फरहाद से हों हौसले
जो चीर कर पर्वत नहर दे, तख्‍त की खातिर पले.

यह भूूमि है अवतार और, वेदों पुराणों की धरा
इसके लिए बलिदान भी, करना पड़़े़े तो कर चले.

खोते नहीं जाँँबाज मौका, दुश्‍मनों के वार का
पीछे ने करते वार वीर, इससे तो जान'वर भले.

चैनो अमन से वतन में, आती बहारों रौनकें
'आकुल' चढ़े परवान धरती, और वतन फूले फले.