अखंड भारत की हे जननी, जन्मभूमि
तुम
हिमगिरि, संगम, प्रभास की,
पुण्यभूमि तुम
मथुरा, गोकुल, वृन्दावन की,
ब्रजभूमि तुम
गीता, पुराण, उपनिषदों की,
वेदभूमि तुम
अखंड भारत की हे
जननी-------------
रत्ननिधि के आँचल से,
पोषित हो तुम
वन, उपवन, कानन, नदियों से,
शोभित हो तुम
वासंती मलयानिल सुरभि से,
आंदोलित हो तुम
रश्मिरथी की ऊर्जा से,
सुनियोजित हो तुम
दशावतारों की दृष्टा हो,
रंगभूमि तुम।
अखंड भारत की हे
जननी----------
सहिष्णु, मर्यादित हो,
सनातन हो तुम
युग परिवर्तनों से, अधुनातन
हो तुम
सभ्यता संस्कृति में, अद्यतन
हो तुम
सृष्टि का इतिहास हो,
पुरातन हो तुम
वंदन करूँ, अर्चन करूँ, हो
मातृभूमि तुम।
अखंड भारत की हे
जननी-------------
सच हम सबको मातृभूमि पर गर्व करना चाहिए ..
जवाब देंहटाएंजननी जन्मभूमि की सुन्दर स्तुति ...