दीप दीप से जब मिले, बढ़े प्रकाश अनन्त। घर घर दीप जलाइये, रोशन हो हर द्वार।
बढ़े संस्कृति प्रेम से, कहते नामी सन्त।। गले गले मिल जाइये, छोड़ वैर तकरार।।
कहते नामी संत, द्वेष औ वैर मिटाओ। छोड़ वैर तकरार मिला क्या है लड़ भिड़ कर।
हर उत्सव त्योहार, सिखाते मिलो मिलाओ।। हो कर के बेचैन, जिया जीवन डर डर कर।।
कह ‘आकुल’ कविराय, रसोपल मिले सीप से। कह ‘आकुल’ कविराय, जियो जीवन मिलजुल कर।
मन हर्षे खिल जाय, दीप जब मिले दीप से।। श्रीगणेश कर आज, मिलो जा कर के घर घर।।
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