छंद-
चामर (वाचिक)
विधान- मात्रा भार 23, यति 14, 9 अथवा 15, 8 पर।
वाचिक
मापनी- 21 21 21 21 21 21 21 2
पदांत- कहीं
समांत- इले
छोड़
कर महल चले मिले न, क़ाफ़िले कहीं ।
सैंकड़ों
गिरीं, इमारतें, ढहे किले कहीं ।
क्या
मिला लड़े भिड़े दुखी, रहे अजेय भी,
व्यर्थ
अटकलें रहीं व व्यर्थ, थे गिले कहीं ।
फूल
तो खिले, सुगंध, बाँटते रहे सदा,
जो
सुगंध दें न कुछ सुमन, नहीं खिले कहीं ।
बाग़बान
की, जुगत कि बाग़, कुछ खिले रहे,
जल
हवा प्रकृति, बिना चले न, सिलसिले कहीं ।
आइये
मनन, करें कि क्यों, मिलीं शिकस्त फिर,
दूरियाँ
न घट सकीं न खुल, के हम मिले कहीं ।।
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