5 नवंबर 2025

मिले न क़ाफ़ि‍ले कहीं

छंद- चामर (वाचिक)
विधान- मात्रा भार 23, यति 14, 9 अथवा 15, 8 पर।
वाचिक मापनी- 21 21 21 21 21 21 21 2   

पदांत- कहीं

समांत- इले

 

छोड़ कर महल चले मिले न, क़ाफ़ि‍ले कहीं ।

सैंकड़ों गिरीं, इमारतें, ढहे किले कहीं ।

 

क्‍या मिला लड़े भिड़े दुखी, रहे अजेय भी,

व्‍यर्थ अटकलें रहीं व व्‍यर्थ, थे गिले कहीं ।

 

फूल तो खिले, सुगंध, बाँटते रहे सदा, 

जो सुगंध दें न कुछ सुमन, नहीं खिले कहीं ।

 

बाग़बान की, जुगत कि बाग़, कुछ खिले रहे,

जल हवा प्रकृति, बिना चले न, सिलसिले कहीं ।


आइये मनन, करें कि क्‍यों, मिलीं शिकस्‍त फिर,

दूरियाँ न घट सकीं न खुल, के हम मिले कहीं ।। 

 

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