गीत
छंद- रूपमाला
मापनी- 2122 2122 2122 21
सूर्य अब
होने लगा है प्रात से ही तेज।
धूप में
होने लगा है ताब भी अब तेज।।
गिर रहे
हैं पात सूखे आजकल हर ओर,
क्या सड़क
घर बाग पथ पर है हवा पुरजोर,
राह खोलेगी
नई, पतझड़ हवा के साथ,
आ गया हर
पेड़ पर नव पल्लवों का दौर।
अब हवा
बनने लगी है लाय जैसी तेज।
धूप में
होने लगा है ताब भी अब तेज।।
अब बसंती ऋतु को आया ग्रीष्म का संदेश,
भेजना
पतझड़ सहित पातों का भी अवशेष,
ना भड़क
जाए अनल आए न झंझावात,
अब हवा में
हो रहा है है लाय का प्रवेश।
पात ना कोई
जले सेते यही सरखेज,
धूप में होने लगा है ताब भी अब तेज।।
सरखेज (ज़रखेज)- बंंजर से बनी उर्वर भूमि
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