बिना रजाई रात में, अब न बनेगी बात।
अब न बनेगी बात, बिना स्वेटर के भाई।
मफलर टाई कोट, धूप में है गरमाई।
कह ‘आकुल’ कविराय, न करती यह हमदर्दी।
खाओ पहनो गर्म, बचाती हरदम सर्दी।
हर मौसम में मधुकरी, लगती है स्वादिष्ट।
पर जाड़े में और भी, करती है आकृष्ट।
करती है आकृष्ट, साथ गट्टे की सब्जी।
लहसुन वाली दाल, कभी ना होए कब्जी।
कह 'आकुल' कविराय, माँगती पानी मन भर।
सर्दी में बदनाम, लुभाती फिर भी मन हर।
मधुकरी- बाटी
हर मौसम में मधुकरी, लगती है स्वादिष्ट।
पर जाड़े में और भी, करती है आकृष्ट।
करती है आकृष्ट, साथ गट्टे की सब्जी।
लहसुन वाली दाल, कभी ना होए कब्जी।
कह 'आकुल' कविराय, माँगती पानी मन भर।
सर्दी में बदनाम, लुभाती फिर भी मन हर।
मधुकरी- बाटी
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