6 नवंबर 2025

बाल काव्‍य श्री सम्‍मान 'आकुल' को

 दिनांक 26.10.2025 को सम्मानार्थ आयोजित बालमन काव्योत्सव 382 का #बालकाव्य_श्री_सम्मान पुरुष वर्ग में #डॉ_गोपाल_कृष्ण_भट्ट_आकुल जी को प्रदान करते हुए मुक्तक-लोक गौरवान्वित है, हार्दिक बधाई सँग अनंत शुभकामनाएँ आद. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' जी

बाल गीत

बच्‍चों का निश्‍छल निर्मल मन, होता है।
पंछी जानें क्‍या अपनापन, होता है।
बच्‍चों सा कोतूहल होता पंछी में,
मिलना ही सबसे अभिनंदन होता है।
बच्‍चों का निश्‍छल निर्मल मन होता है ।

पूछा बच्‍ची ने भी इक दिन पंछी से,
तुम चलते भी हो उड़ते भी, हो कैसे,
मैंने यहाँ दौड़ते देखा, है तुमको,
मुझको क्‍यों ना पंख दिए हैं, तुम जैसे,

उसके भी हैं पंख, मेरे घर तोता है।
बच्‍चों का निश्‍छल निर्मल मन होता है ।

बोला पंछी तुम्‍हें बचाने वाले हैं,
हम यायावर हैं खुद जीना पड़ता है,
स्‍वयं बचाने को ईश्‍वर ने, पंख दिए,
निर्बल हैं हम उनसे उड़ना पड़ता है, 

अपने हाथों अपना जीवन होता है। 
बच्‍चों का निश्‍छल निर्मल मन होता है ।

पंछी बोला छोटी हो, ना समझोगी,
लहर ले गई तो पानी में डूबोगी,
नहीं बैठना नदी किनारे सागर तट,
साथ रहोगी जीवन के गुर, सीखोगी,

उड़ सकती हो करो अटल प्रण होता है।
बच्‍चों का निश्‍छल निर्मल मन होता है। 

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