29 जनवरी 2022

गतिरोधों, अवरोधों की बातें बेमानी

 गीतिका

छंद- विद्युल्‍लेखा

मापनी- 222 222 222 222 

पदांत- 0 

समांत- आनी

गतिरोधों, अवरोधों, की बातें बेमानी ।

सीमा पर तत्‍पर हर, दम रहते सेनानी ।

अनुशासन छूटेगा, आएँगी बाधाएँ,

झूठा ही हकलाता, सच का ना है सानी ।

पहरा हो, पग पग पर, खतरा भी, हो सर पर,

चोरों को, कब ताले, करते जो, है ठानी।

क्‍या मिट्टी क्‍या सोना, क्‍या हीरा क्‍या पन्‍ना,

घर के भेदी से तो, लंका भी लुट जानी ।

इज्‍जत पाले सच्‍चा, खूँटी टाँगे झूठा,

होती है इस जग में, सबसे ही नादानी ।

कण कण में बिखरे हैं, बलिदानों के किस्‍से,

माँ पुजती है पन्‍ना, हाड़ी, लक्ष्‍मी रानी ।

‘आकुल’ अब कर गुजरो, चाहो यदि करना तो,

अवरोधों से डर कर,  करना मत मनमानी । 

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