छंद-रेवा छंद
विधान- दोहे के 11 मात्रिक सम चरण की चार आवृत्ति इस प्रकार मात्रा भार- 22। 11, 11 पर यति । पहले, दूसरे व चौथे में तुकांत। (मूल छंद में) किंतु गीतिका में पहले दो चरण ही तुकांत ।
पदांत- कह डाल समांत- अचझूठ कभी मत पाल, सच को सच कह डाल ।
रह कर तू निर्भीक, बद से बच कह डाल।
हुआ जन्म कर कर्म, कुछ तो है यह मर्म,
बन जाएँ सुविचार, ऐसा रच कह डाल ।
पहले
खुद भी सीख, दे फिर सबको सीख,
जीभ तीर तलवार, चले नहीं परिहार,
रुकता अगर विनाश, भले असच कह डाल ।
आकुल नहीं अनीति, यह भी है इक नीति,
व्यंग्य चलें तो डाल, नमक मिरच कह डाल।
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