गीतिका
छंद- द्विगुणित भक्ती (वार्णिक)
विधान भक्ती- तगण यगण गुरु (मापनी-221 122 2)
पदांत- जानें
समांत- अहाँसंरक्षण वृक्षों का, होता न जहाँ, जानें ।
मधुमास ठहरता है, ज्यादा न वहाँ, जानें ।जो भी न बसाते घर, यायावर जीते वो,
आजाद परिंदों के, परिवार कहाँ, जानें ।
बेनाम शहीदों को, इतिहास सलामी दे,
होती न कभी जिनकी, चर्चा न यहाँ, जानें ।
हैं आज कई जग में, दौलत जिनकी बाँदी,
चलता जिनका सिक्का, वे शाहजहाँ, जानें ।
ले के अपने खाली, हाथों सब को जाना,
फिर ‘आकुल’ क्यों बाँधें, कोई गिरहाँ, जानें ।
गिरहाँ – गाँठें
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