24 जनवरी 2022

संचार नव उल्‍लास का हो

 गीत

 

कर्तव्य का विश्वास का हो ।
संचार नव उल्लास का हो ।

गंतव्य को बढ़ते रहें,

निर्भय सदा चढ़ते रहें,
जीवन यशस्वी हो सके

प्रतिमान भी गढ़ते रहें,

उत्थान का, विकास का हो ।
संचार नव उल्‍लास का हो ।

जनता नहीं मायूस हो,

कोई नहीं मनहूस हो,
संलिप्त हों सब कर्म में,

उत्कर्ष भी महसूस हो,

 

सुप्रभात इक इतिहास का हो
संचार नव उल्‍लास का हो।


नववर्ष में हो कुछ न कुछ,

गत वर्ष का भी कुछ न कुछ,
रख स्मृतियाँ मानस पटल,

कहने व सुनने को हो कुछ,

अहसास ना उच्‍छवास का हो ।
संचार नव उल्‍लास का हो ।

गणतंत्र दिन उत्साह से,

फहराएँ ध्‍वज उल्लास से
भूलें सभी शिकवे गिले,

लग कर गले विश्वास से

अभिलाष का हो भास का हो ।
संचार नव उल्‍लास का हो ।

१ जनवरी २०२२

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