19 जनवरी 2022

नववर्ष में उत्‍साह हो कुछ

गीतिका

छंद- माधुरी
मापनी- 221 221 221 22
पदांत- का
समांत- अरने

नववर्ष में उत्साह हो कुछ, कर गुज़रने का ।
क़िस्मत बदलने के लिए, शुरुआत करने का ।

अवरोध आएँगे पहल, करना जरूरी है,
बच कर निकलना है, नहीं है वक़्त डरने का ।

कर्तव्य पथ पर हौसला भर, जा रहे बढ़ते,
कूटावपातों, खाइयों को, आज भरने का ।

आसान होती है नहीं, पाना सफलताएँ,
देता नहीं बाज़ार मौक़ा, हाथ धरने का ।

मौक़ें मिले तो चूकना मत, तुम कभी आकुल',
ज़हरी पतंगों के कभी भी, पर कतरने का ।

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