1
अक्षर ज्ञान दिवाय के, उँगली पकड़ चलाय.
गुरु ही पार लगाय या, केवट पार लगाया.
मात-पिता-गुरु तीन के, उस पर रहते हाथ,
शिक्षा कोई क्षेत्र हो, बिन गुरु कभी न आय.
2
नमन करो तुम कृतज्ञता से, जनक, गुरु, ईश्वर का.
तदुपरांत तुम नमन करो, धरा, देश और घर का.
अपने और पराये का मत लाओ मन में भाव,
बन कृतज्ञ तुम लाभ प्राप्त कर पाओगे अवसर का.
3
प्रवचन, संत-समागम, सेवा, जीवन में उपकारी.
भ्रमण, ध्यान, व्यायाम, योग, दिनचर्या है हितकारी.
पति-पत्नी का और सखा का संग-साथ हो सुखकर,
मात-पिता-गुरु का जीवन में, वरद हस्त बलिहारी.
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