ऐ हुतात्माओ
तुम्हें श्रद्धा से नमन् पर...!!!
आज श्रद्धा के साथ साथ
शर्म से भी झुके हैं सिर
स्वतंत्रता के स्वप्न जो देखे थे तुमने
वो कल की बात बने हैं
रक्षक ही भक्षक
हमारे प्रतिनिधि ही
नर पिशाच बने हैं
आज, कल से कहीं
बदतर हालात हैं देश में
आज अपनों ही से डरे हुए हैं हम
अनेकों समास्याओं से घिरे हुए हैं हम
भ्रष्टाचार सिर चढ़ कर बोल रहा है
आरक्षण हमारे संविधान के अधिकारों का
कर मखैल रहा है
वर्गवाद पनप रहा है
पर्यावरण की अनदेखी से
सारा विश्व झुलस रहा है
उदधि का प्रचण्ड रूप
सीमाओं को गटक रहा है
संस्कारों की धज्जियाँ उड़ रही हैं
राष्ट्रभाषा की खिल्ली उड़ रही है
हिन्दी अपनी अस्मिता बचाने को
संघर्ष कर रही है
प्रान्तीय भाषायें भी हिन्दी से
सौतेला व्यवहार कर रही हैं
किसी को नहीं राष्ट्रभाषा की चिन्ता
राजभाषा की जगह सभी को
पड़ी है अपनी लोक भाषा की
इनामों इकरामों की बंदरबाट चल रही है
सम्मानों का मखौल उड़ रहा है
हर शाख पे बैठा उल्लू
अपनी 360 डिग्री कोण तक
गर्दन घुमा घुमा कर
लक्ष्मी के करतब देख रहा है
मै बस देख रहा हूँ तो
जाने अनजाने मराहिलों पर
फ़ना होते अलग अलग
हुतात्माओं को
जो कारण अकारण
काल का ग्रास बन रहे हैं
उनसे पता नहीं
देश को कोई दिशा
मिलेगी भी या नहीं
बस देख रहा हूँ
मौन बदलते साल दर साल
क्योंकि मुझे भी
मेरी मंजिल नज़र आ रही है
उम्र दर उम्र की उखड़ती साँसों में
दर्द के सैलाब में
असंतोष के भँवर में
इसीलिए कदाचित् हूँ मैं ‘आकुल’
क्योंकि सब बदलेंगे पर समय नहीं बदलेगा
क्योंकि समय को लेना है सबसे बदला
क्योंकि समय ही भरेगा हर घाव
क्योंकि समय के मौन को
ग़लत समझ बैठा है मानव और
चल पड़ा है दम्भ के
दावानल को पार करने
मेरी तमाम उम्र का फ़लसफ़ा यही है
संतोष धरो दोस्ती करो
रिश्तों को निभाने को संतोष चाहिए और
आज संतोष नहीं है किसी के पास
दौड़ ही दौड़ है तो
दामन थामो दोस्ती़ का
क्योंकि दोस्त फ़रिश्ते होते हैं
बाक़ी सब रिश्ते होते हैं
तभी वसुधैवकुटुम्बकम् का स्वप्न
साकार होगा और
मिलेगी चिर शांति हुतात्माओं को !!!
ऐ हुतात्माओ
तुम्हें श्रद्धा से पुन: नमन् !!!
(आज ही के दिन ये तीनों *भगतिसंह, राजगुरू और सुखदेव* अंग्रेजों के दमन के खिलाफ़ आवाज़ उठाने पर शहीद हुए थे।)
bahut sundar. badhai sweekaren!
जवाब देंहटाएंमित्रो, नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें. नव संवत्सर आप सभी के लिये शुभ एवं मंगलमय हो!
जवाब देंहटाएंवन्दे मातरम ....!!
जवाब देंहटाएंयह कविता सच्ची श्रद्धांजलि है तीनों को .....
आपकी क्षणिकायें मिल गई हैं आभार ....!!