आधार छंद- ताटंक
मापनी- चौपाई + 14 मात्रा, 16, 14 पर यति, अंत तीन गुरु से अनिवार्य
पदांत- है
समांत- आई
पढ़ना ही होगा बेटी को, जीवन की सच्चाई है.
लड़ना
ही होगा दुनिया से, बात समझ अब आई है.
जिन
कुरीतियों की बलि चढ़ कर, दशा हुई है नारी की,
उन
कुरीतियों की बलि की अब, शिक्षा ही भरपाई
है.
बतलाना
होगा उसको इस, संकट से कैसे जूझें,
चतुर्मुखी
उन्नति की राहें, शिक्षा ने दिखलाई है.
माँ की
गुरुता हर प्रवर्तकों, अवतारों ने है देखी,
माँ
की ममता से ही जग में, मानवता बच पाई है.
बेटी
को माँ तक की राहें, शिक्षा से ही है मिलनी,
संस्कार
और शिक्षा ने ही, जग में अलख जगाई है.
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