वाचिक भुजंग प्रयात
मापनी -- 122 122 122 122
मापनी -- 122 122 122 122
(गीतिका)
पदांत - न होता
समांत - आया
पदांत - न होता
समांत - आया
अगर आप से दिल लगाया न होता.
हमें जिंदगी ने सताया न होता.
मुलाकात हर इक शरारत हुई थी,
हमें काश यह सब बताया न होता.
बहुत दूर तक आ गये अब सफर में
हमें चाहतों से जताया न होता.
गुजारे नहीं दिन कभी गर्दिशों में
जहाँ ने हमेशा जिताया न होता.
अगर जानते पूजते न बुत बनाके
महल ताज जैसा बनाया न होता.
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