'हिंदी भूषण श्री सम्मान' से
भी सम्मानित 'आकुल'
25 से अधिक राज्यों और पड़ौसी मित्र देश
नेपाल से पधारे अतिथियों और साहित्यकारों सहित 200 से अधिक संख्या में 5वें के.बी. हिंदी साहित्य समिति, बिसौली (बदायूँ) का
दो दिवसीय साहित्यकार समागम 2 नवम्बर, 2019 की सायं कवि सम्मेलन से आरंभ हो कर एवं जो
काव्य पाठ न कर पाये उनकी 3 नवम्बर, 2019 को सम्मान समारोह और भोजनोपरांत काव्य संध्या
तक चला. साहित्यिक कुंभ के रूप में उच्च स्तरीय संचालन, व्यवस्था और
भावविभोर कर देने वाले आतिथ्य से ओतप्रोत ''आर.के.इंटरनेशन स्कूल''
बिसौली के प्रांगण में सम्पन्न हुआ समारोह एक छाप छोड़ गया.
उत्तरप्रदेश के बरेली,
बदायूँ,
चँदौसी,
रामपुर,
मथुरा,
पीलीभीत,
अलीगढ़,
लखनऊ से एवं अन्य राज्यों से दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ साथ ही
अहिंदी भाषी क्षेत्र तमिलनाडु, गोआ, महाराष्ट्र, हैदराबाद आदि से पधारे शीर्षस्थ साहित्यकारों ने मात्र सम्मान
ही प्राप्त नहीं किया अपितु हिंदी पर उनकी रचनाधर्मिता के लिए वाह-वाही भी बटोरी.
पुस्तकों, पत्रिकाओं का विमोचन करते हुए मंचस्थ अतिथि |
ग़ज़ल को परिवर्धित नाम 'चारु' देने के लिए शोध कर रहे 15 से अधिक कृतियों के रचनाकार त्रिभुवन विश्वविद्यालय, विराटनगर (नेपाल) के
प्रख्यात हिंदी-नेपाली साहित्यकार प्रोफेसर देवी पंथी जी सम्मान समारोह के मुख्य
अतिथि थे. अध्यक्षता उ.प्र. हिंदी संस्थान, लखनऊ से साहित्य भूषण सम्मान
प्राप्त बरेली के श्री सुरेश बाबू मिश्रा थे और विशिष्टि अतिथि हिंदी संस्थान की
सम्पादक डॉ. अमिता दुबे थीं.
02
नवम्बर को वाराणसी के कवि डॉ. ब्रजेंद्र नारायण द्विवेदी ‘शैलेष’ ने की तथा
संचालन युवा हास्य कवि गोपाल ‘ठहाका’ एवं घुमक्कड़ कवि ग़ाफ़िल स्वामी ने
किया. शुभारंभ मंचासीन कवियों, के.बी. हिंदी साहित्य समिति के अध्यक्ष डॉ.
सुधांशु व आर.के. इंटरनेशनल स्कूल के डायरेक्टर देवरत्न वार्ष्णेय द्वारा दीप
प्रज्ज्वलन एवं शिवकुमार चंदन की वाणी वंदना से हुआ.
कवियों
के कुछ युग्म जो कवि सम्मेलन को अविस्मरणीय बना गये-
डॉ.
के उमराव विवेकनिधि (मथुरा)-
नूतन
सदी के चाँद तू घूँघट से निकल.
तेरी
शोहरत पे कवि शायर नई गायें ग़ज़ल.
रामकृष्ण
वि. सहस्रबुद्धे (नासिक)-
जीवन
साथी ढूँढ राहे हैं देखो अब अखबारों में.
बिकते
दूल्हे दुल्हन भी हैं खुले आम बाज़ारों में.
ग़ाफिल
स्वामी (अलगढ़)-
झूठ
बोल ठग लूट कर, जोड़ न लाख करोड़.
ग़ाफ़िल
इक दिन सब यहाँ, जाएगा तू छोड़.
डॉ.
ब्रजेंद्र नारायण ‘शैलेष’ (वाराणसी)-
कौन
यहाँ राजा है कौन यहाँ रंक.
सबके
ही उग आए लाल लाल पंख.
प्रोफेसर
दीवीपंथी (नेपाल)-
बिसौली
शहर अच्छा लगा.
दिल
लोगों का सच्चा लगा.
ईश्वर
दयाल गोस्वामी (सागर)
आँसू
पूरा धर्मग्रंथ है.
प्रेमपंथ
ही सही पंथ है.
डॉ.
सतीश चंद्र शर्मा ‘सुधांशु’ (बिसौली)
मोदी
तूने नाम विश्व में खूब बटोरा.
थमा
दिया इमरान हाथ में एक कटोरा.
इफ़्तिख़ार
‘’ताहिर’’ (रामपुर)
पहले
खुद को सँभाल कर रखना.
फिर
क़दम देखभाल कर रखना.
वीरेंद्र
गुप्त (ग़ाजियाबाद)
फुरसत
नहीं किसी को सुन ले जो दादी की रामकहानी.
है
अभाव की स्वयं सहेली पर आशीषों की है रानी.
युवा
कवि मोहित शर्मा (म.प्र.)
मेरा
घर मोम का है मैं इसे कैसे सँभालूँगा.
दिया
न मेरे हाथों में दिया जाये तो अच्छा है.
सुरेंद्र
नाज़ ‘बदायूँनी’
हमें
तुम जैसा चाहो रूप दे दो.
अभी
हम चाक पे रक्खे हुए हैं.
दीपक
गोस्वामी ‘चिराग’ (संभल)
अंक
पत्र की स्पर्धा में बस्ते झूल रहे.
माली
की चाहत की ख़ातिर मुरझा फूल रहे.
राजेश
‘तन्हा’
बट
विशाल बूढ़े पीपल की भाती नहीं हैं छाँव.
मुझको
अब ऐसा लगता है बदल गये हैं गाँव.
विजय
कुमार सक्सैना
पिता
नाम संघ्ज्ञर्ष का, माँ ममता की खान.
पृथ्वी
पर दो नाम हैं, सचमुच ब्रह्म समान.
शिवकुमार
‘चंदन’ (रामपुर)
भावलोक
में मधुरमिलन का गूँज रहा संगीत.
किसे
पुकारूँ किसे निहारूँ कौन है सच्चा मीत.
गोपाल
‘ठहाका’ (हरदोई)
नफ़रत
की सीमा यदि हद से पार न होती.
इसके
आँगन में ऊँची दीवार न होती.
प्रवीण
अग्रवाल ‘नादान’
चैन
से जीने ही नहीं देता
बड़ा
ही बेरहम जमाना है.
उपस्थित अतिथिगण एवं आमंत्रिक साहित्यकार |
दिनांक 03 नवम्बर को प्रात: 11 बजे डॉ. शिवशंकर यजुर्वेद के
सस्वर सरस्वती वंदना से आरंभ हुए समारोह में के.बी. साहित्य समिति के अध्यक्ष श्री
सुधांशुजी ने स्वागत वंदन किया तथा उनके पुत्र ने संस्था का वार्षिक प्रतिवेदन
प्रस्तुत किया.
पुस्तकों की विमोचन शृंखला में के.बी. साहित्य समिति का उ.प्र. हिंदी संस्थान, लखनऊ से 2 लाख का पुरस्कार व साहित्यभूषण सम्मान प्राप्त डॉ. मिथिलेश
दीक्षित पर आधारित विशेषांक 'नये क्षितिज’ एवं नियमित निकलने वाले ‘नये क्षितिज’ के
अप्रेल-सितम्बर के साथ संयुक्त अंक का विमोचन,
नेपाल की पत्रिका पूर्वांचल दर्पण, अलीगढ़ से निकलने
वाली शेषामृत का गीत विशेषांक, ‘चारू’ पर लिखी एक गुटका ''ग़ज़ल और चारु’’,
डॉ. मंजू यादव का कहानी सेंग्रह 'सोना गाछी' आदि का विमोचन हुआ.
सम्मानों के अंतर्गत साहित्यभूषण रु. 5100/- का
सर्वोच्च पुरस्कार ‘‘साहित्य सिंधु’’ डॉ. अमिता दुबे, लखनऊ को श्रीमती डॉ.
मिथलेश दीक्षित द्वारा माँ की स्मृति में दिया गया जो विशिष्ट अतिथि भी थीं. 2100/- के
दस पुरस्कार उपस्थित साहित्यकारों यथा डॉ. हरेंद्र हर्ष, डॉ. रमाकांत आपरे (महाराष्ट्र), राम कृष्ण सहस्त्रबुद्धे (महाराष्ट्र) एवं गीतांजलि सक्सैना को शाल स्मृति
चिह्न देकर सम्मानित किया गया. एवं रु.1100/-
के 10 पुरस्कार एवं सारस्वत सम्मान उपस्थित साहित्यकारों यथा
डॉ. सुरंगमा यादव, डॉ. सुषमा चौधरी,दिल्ली, कीर्ति प्रदीप वर्मा, होशंगाबाद, मधु
शंखधर ‘स्वतंत्र’, वीरेंद्र गुप्त मोहन लाल मिश्र ‘धीरज’, ईश्वरदयाल गोस्वामी,
सागर, विजय कुमार मिश्र ‘बुद्धिहीन’, डॉ. श्री प्रकाश यादव, अनुराग मिश्र ‘गैर’, नंद
लाल मणि त्रिपाठी, डॉ. प्रताप मोहन भारतीय (हि.प्र.) , डॉ. के. सुधा, आंध्रप्रदेश,
डॉ. आकुल, कोटा एवं डॉ. मनोज कुमार सिंह को शाल प्रतीक चिह्न एवं राशि देकर सम्मानित
किया गया. साथ ही अन्य उपस्थित साहित्यकारों को काका हाथरसी, शकील बदायूनी, महादेवी सम्मान, नीरज सम्मान, साहित्य भूषण, साहित्य शिरोमणि आदि
सारस्वत सम्मान भी प्रदान किये गये,
नवोदित रचनाकारों, योग शिक्षकों, पत्रकारों, मंचस्थ अतिथियों आदि
को भी सम्मानित किया गया. रु. 2100/- व 1100/- के सभी पुरस्कार प्रायोजित थे.
'डॉ. आकुल' को सम्मानित करते समिति के अध्यक्ष डॉ. सुधांशु एवं प्रायोजक |
इस समारोह में मेरी गीतिका शतक ‘चलो प्रेम का दूर क्षितिज तक
पहुँचायें संदेश’’ पर मुझे ‘’ स्व. रामस्वरूप शर्मा की स्मृति में ‘’हिंदी भूषण
श्री सम्मान’’ से सम्मानित किया गया. रु. 1100/-
की राशि के साथ प्रशस्ति पत्र , स्मृति
चिह्न, शाल प्रदान किया गया. 'आकुल' ने बताया कि प्रख्यात कवि एवं गीतकार
पद्मभूषण गोपाल दास 'नीरज' ने ग़ज़ल का 'गीतिका' नाम दिया और वे इसे आगे बढ़ा रहे हैं.
सम्पूर्ण रूप से हिंदी छंद साहित्य को समर्पित इस विधा में 50 से अधिक छंदों पर आधारित 100 गीतिकाओं को रचा गया हे. जिसे समिति
द्वारा पुरस्कार के लिए चयन किया गया. उनहोंने अध्यक्ष श्री 'सुधांशु' जी का आभार व्यक्त किया.
हिमाचल प्रदेश,
नेपाल,
तमिलनाडु के हिंदी समूहों ने श्री 'सुधांशु' जी के इस तरह के
आयोजन से हिंदी के विकास के लिए
जो कार्य किया जा रहा है, उस पर उन्हें
भी सम्मानित किया और उन्होंने व कई साहित्यकारों ने दी गई पुरस्कार राशि को ''के.बी. हिंदी साहित्य
समिति' के विकास के लिए दानस्वरूप लौटा दी.
कवि सम्मेलन में प्रख्यात हास्य कवि 'ठहाका' ने एवं सम्मान
समारोह में अपने ओजस्वी संचालन से बरेली के प्रख्यात साहित्यकार डॉ. नितिन सेठी
ने सभी उपस्थित साहित्यकारों व अतिथियों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
अल्पाहार के साथ दो दिन चले समारोह का समापन हुआ.
प्रस्तुति- आकुल
प्रस्तुति- आकुल
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