गीतिका
छंद-
सार
दुनिया में हैं सफल वही जो समय संग चलते हैं.
देखे हैं संतुष्ट सदा जो, समय संग ढलते हैं.
सदा छला जिसने निसर्ग को, छला समय ने उसको,
अहंकार, षड्-रिपु, विकार, तन, समय संग जलते हैं.
रखो मित्रता अपनापन पशु, पक्षी पादप जन से,
प्रेम-प्रीति से संकट प्राय:, समय संग टलते हैं.
क्या लेकर आये हो प्यारे, क्या लेकर है जाना,
अच्छा हो यदि समय काम सब, समय संग फलते हैं.
‘आकुल’ दिनचर्या साधे जो, राहें समय दिखाता,
चढ़ते हैं वे शिखर सदा जो, समय संग पलते हैं.
‘आकुल’ दिनचर्या साधे जो, राहें समय दिखाता,
चढ़ते हैं वे शिखर सदा जो, समय संग पलते हैं.
पदांत-
है
समांत-
अलते
दुनिया में हैं सफल वही जो समय संग चलते हैं.
देखे हैं संतुष्ट सदा जो, समय संग ढलते हैं.
सदा छला जिसने निसर्ग को, छला समय ने उसको,
अहंकार, षड्-रिपु, विकार, तन, समय संग जलते हैं.
रखो मित्रता अपनापन पशु, पक्षी पादप जन से,
प्रेम-प्रीति से संकट प्राय:, समय संग टलते हैं.
क्या लेकर आये हो प्यारे, क्या लेकर है जाना,
अच्छा हो यदि समय काम सब, समय संग फलते हैं.
‘आकुल’ दिनचर्या साधे जो, राहें समय दिखाता,
चढ़ते हैं वे शिखर सदा जो, समय संग पलते हैं.
‘आकुल’ दिनचर्या साधे जो, राहें समय दिखाता,
चढ़ते हैं वे शिखर सदा जो, समय संग पलते हैं.
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