16 अगस्त 2018

अब घरों से आदमी निर्भय निकलना चाहिए (गीतिका)

छंद- गीतिका
मापनी 2122 2122 2122 212
पदांत- चाहिए.
समांत- अलना.
 
अब घरों से आदमी निर्भय निकलना चाहिए.
है जरूरत देश में यह राज चलना चाहिए.
 

कर्म का प्रतिफल मिले इतना कि हर घर हो सुखी, 
अब न बच्चा एक भी घर में मचलना चाहिए.

अब बग़ीचों में न कुचली जायेंकलियाँ एक भी,  
इस चमन में अब नहीं सैयाद पलना चाहिए.

बाढ़, सूखा, आपदा, भूकंप, जहरीली हवा, 
अब प्रदूषण से न धरती को दहलना चाहिए. 

लो चलो कश्मीर को अब फिर बनायें स्वर्ग सा,  
अब बरफ केसर कीगर्मी से पिघलना चाहिए.

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