11 अगस्त 2018

अब स्‍वाधीनता हमारी है, ख़तरे में यारो (गीतिका)


छंद- विष्‍णुपद
विधान- 16, 10 पर यति अंत गुरु से.
पदांत- में यारो
समांत- अरे

अब स्‍वाधीनता हमारी है, ख़तरे में यारो.
अभिव्‍यक्त्‍िा की आज़ादी है, पहरे में यारो.

दिग्‍गज हैं निशाने पे भ्रष्‍ट, राजतंत्र सारा,  
जनता ही’ क्‍यों खड़ी न्‍याय के कठघरे में यारो.

स्‍वच्‍छ भारत, नोटबंदी से, अस्‍त व्‍यस्‍त जीवन, 
अवसाद में है आदमी अब, गहरे में यारो.  

पटरी पे न आये अभी भी, लोगों के जीवन,
भ्रष्‍ट लोगों के’ शिकन तक नहीं, चे’हरे में यारो.

हर घटना पर अब न्‍याय दखल, देता है ‘आकुल’,
रक्षक बने भक्षक सब शक के’, घहरे में यारो.

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