छंद-
हरिगीतिका
मापनी
2212 2212 2212 2212
पदांत-
से
समांत- आह
1
ध्वजदंड पर लहराये’गा घ्वज कल बड़े ही शान से.
स्वाधीनता के उन दिनों को याद कर अभिमान से.
भुजदण्ड
पर ध्वजदण्ड ले, बच्चे बड़े उत्साह से.
दौड़े चले हैं जा रहे सब, संग बे परवाह से.
लहरा रहे ध्वज संग सब, गाते वे’ वंदे मातरम्
स्वाधीनता की है खुशी, कम क्या किसी भी चाह से.
1
ध्वजदंड पर लहराये’गा घ्वज कल बड़े ही शान से.
स्वाधीनता के उन दिनों को याद कर अभिमान से.
कण-कण
हुआ कृतकृत्य, जन-जन में बड़ा उत्साह था,
फहराये’गा
फिर कल तिरंगा गर्व अरु सम्मान से.
2
दौड़े चले हैं जा रहे सब, संग बे परवाह से.
लहरा रहे ध्वज संग सब, गाते वे’ वंदे मातरम्
स्वाधीनता की है खुशी, कम क्या किसी भी चाह से.
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