13 अगस्त 2018

चला है जो जीवन में नेकी के पथ पर (गीतिका)


छंद- महाभुजंग प्रयात
मापनी- 122 122 122 122 122 122 122 122  
पदांत- मिला है
समांत- आरा

चला है जोजीवन मेंनेकी केपथ पर,
हमेशा उसी को सहारा मिला है.
पला है जोजीवन मेंतूफ़ाँ मेंरह कर,
हमेशा उसी को किनारा मिला है.

नहीं शर्म जिसमें न पछतावा’ ही है,
वोअभिमान में ही जिया है अकेला,
मिला है जोहरदम बदी की डगर पर,
हमेशा मुसीबत कामारा मिला है.

परिंदों की खुशियाँ कहाँ देखींउसने,
कहाँ हैं भरी ऊँची उसने उड़ानें,
उड़ाया हैजीवन धुआँ बन केजिसने,
हमेशा फ़ज़ीहत सेहारा मिला है.

न उपकार जो मानता मातृभू का
वोख़ुशियों सेरीता रहा है धरा पर,
नहीं चैन से मौत उसको मिली है
न ही तन कोपावन अँगारा मिला है.

सफलता काकोई नहीं मापनी है,
जो जितना चलोगे मिलेगी सफलता,
मुहब्बत हैजिसकी भीकिस्मत में’ आकुल’,
उसी को खुदा से इशारा मिला है.

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