छंद- विधाता
समय ने दर्द
हैं बाँटे, हटाये सैंकड़ों काँटे,
समय के
ही थपेड़े थे, जो’ हठधर्मी से झेले थे,
बनाये रक्त के इतिहास इसने बाज़ आओ तुम.
मिटा कर सभ्यताओं को, समंदर बन गए खारे,
निकलना है तुम्हें आगे, समय को छोड़ कर पीछे,
समय भी कल तुम्हारे गीत गाये कर दिखाओ तुम.
सदी फिर एक नव ऊर्जा लिए कल आए’गी तब तक,
अगर जो ला सको तुम तो कभी ऐसा समय लाओ,
मापनी- 1222
1222 1222 1222
पदांत-
तुम
समांत-
आओ
समय है
क़ीमती इसको अगर जो रोक पाओ तुम.
पकड़ लो
दौड़ कर इसको न क़िस्मत आज़माओ तुम.
समय के
साथ चल कर ज़िंदगी को बस सजाओ तुम.
बनाये रक्त के इतिहास इसने बाज़ आओ तुम.
मिटा कर सभ्यताओं को, समंदर बन गए खारे,
समय जब
ज्वार का आए समंदर में न जाओ तुम.
निकलना है तुम्हें आगे, समय को छोड़ कर पीछे,
समय भी कल तुम्हारे गीत गाये कर दिखाओ तुम.
सदी फिर एक नव ऊर्जा लिए कल आए’गी तब तक,
नई पीढ़ी के’ सँग उनकी तरह यह युग
बिताओ तुम
अगर जो ला सको तुम तो कभी ऐसा समय लाओ,
न सरहद हो न हो दूरी दिलों में
घर बनाओ तुम.
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